ज़ायोनी पत्रिका "मार्कर" ने उस नुक़सान का खुलासा किया है जो यमनी सशस्त्र बलों ने ईलात बंदरगाह को पहुँचाया है।
इस पत्रिका ने शुक्रवार को अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि ईलात बंदरगाह की आय में वर्ष 2024 में 80% की गिरावट आई है जिसका कारण यमनी सशस्त्र बलों द्वारा लगाए गए समुद्री नाकेबंदी और जहाज़ों को बंदरगाह पर लंगर डालने से रोकना है।
पार्स टुडे के अनुसार, मार्कर ने यह भी कहा कि बंदरगाह की आय 2023 में लगभग 212 मिलियन शेकेल थी जबकि 2024 में घटकर यह केवल 42 मिलियन शेकेल रह गई।
रिपोर्ट के मुताबिक 2025 की शुरुआत से मई के मध्य तक केवल 6 जहाज़ों ने ईलात बंदरगाह पर लंगर डाला है जिससे बंदरगाह के 21 कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर भेज दिया गया। साथ ही पूरा 2024 वर्ष मिलाकर सिर्फ 16 जहाज़ों ने ईलात बंदरगाह पर लंगर डाला।
इसी संदर्भ में ज़ायोनी शासन की कैबिनेट आगामी रविवार की बैठक में 3.2 मिलियन शेकेल की सशर्त क्षतिपूर्ति विधेयक पर मतदान करने वाली है।
यह विधेयक गहराई तक हुए उस आर्थिक नुक़सान को दर्शाता है जो ज़ायोनी शासन को इस बंदरगाह की नाकेबंदी के कारण हुआ है, ऐसी नाकेबंदी, जिसने इस्राइली जहाज़ों को अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाकर भूमध्यसागर के इस्राइली बंदरगाहों अशदूद और हाइफ़ा तक पहुंचने पर मजबूर कर दिया है।
ग़ौरतलब है कि यमन की सशस्त्र सेनाओं ने ग़ज़ा के मज़लूम लोगों के समर्थन में कई बार ज़ायोनी अधिकृत क्षेत्रों को निशाना बनाया है और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है: जब तक इस्राइली शासन ग़ाज़ा पर हमले जारी रखेगा तब तक हम भी अधिकृत ज़मीनों को निशाना बनाते रहेंगे। mm