इज़रायल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके मंत्रिमंडल के खिलाफ नागरिकों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया है। ईरान के साथ चल रहे युद्ध, हमास के हमलों की जांच में देरी, और गाजा में सैन्य कार्रवाइयों को लेकर असंतोष ने लाखों इज़रायलियों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। तेल अवीव, यरुशलम और हाइफा जैसे शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग की।
पिछले कुछ महीनों से इज़रायल की जनता नेतन्याहू सरकार की नीतियों से नाराज है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले की जांच को टालने के लिए नेतन्याहू पर आरोप लग रहे हैं, जिसे जनता राष्ट्रीय सुरक्षा में विफलता मान रही है। इसके अलावा, ईरान के हाल के मिसाइल हमलों ने तेल अवीव और हाइफा में भारी नुकसान पहुंचाया, जिसमें 37 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। इन हमलों ने इज़रायल की रक्षा प्रणालियों की कमजोरियों को उजागर किया, जिससे नागरिकों का गुस्सा और बढ़ गया।
यरुशलम में नेतन्याहू के आवास के बाहर हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए, जिन्होंने "नेतन्याहू जेल जाओ" और "इस्तीफा दो" जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों में बंधकों के परिजन भी शामिल थे, जो गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। तेल अवीव में लगभग दो लाख लोग सड़कों पर उतरे, जिसे इज़रायल के इतिहास में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक माना जा रहा है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद (नेसेट) में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों के साथ उनकी झड़प हुई, जिसमें दो लोग घायल हो गए।
विपक्षी नेता याएर लैपिड ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए कहा, "देश अपने इतिहास के सबसे गंभीर संकट से जूझ रहा है। नेतन्याहू की नीतियां हमें तबाही की ओर ले जा रही हैं।" दूसरी ओर, नेतन्याहू ने इन प्रदर्शनों को विपक्ष द्वारा भड़काया हुआ बताया और कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय हित में काम कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) द्वारा नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने ने भी जनता के गुस्से को और भड़काया है। प्रदर्शनकारी इसे सरकार की विफलता के रूप में देख रहे हैं, जो इज़रायल की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा रही है।
इज़रायल में बढ़ता यह जन आक्रोश और सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब यह संकेत दे रहा है कि नेतन्याहू सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं। यदि युद्ध और आंतरिक अस्थिरता का समाधान नहीं हुआ, तो यह संकट और गहरा सकता है।