गुजरात के हीरा और कपड़ा हब के रूप में प्रसिद्ध सूरत शहर में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने शहर के घरों, दुकानों और विशेष रूप से कपड़ा बाजारों को भारी नुकसान पहुंचाया है। सूरत का प्रसिद्ध रघुकुल मार्केट, जो पूरे देश में उच्च गुणवत्ता वाली साड़ियों और कपड़ों के लिए जाना जाता है, इस बारिश की आपदा में डूब गया है। बाढ़ के पानी ने दुकानों में घुसकर करोड़ों रुपये की साड़ियों और कपड़ों को बर्बाद कर दिया, जिसके कारण व्यापारियों को हजारों रुपये की साड़ियां मात्र 35 से 50 रुपये प्रति किलो के भाव में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। ### बारिश ने मचाई तबाही गुजरात में पिछले कुछ दिनों से हो रही अति भारी बारिश ने सूरत के कई इलाकों को पानी में डुबो दिया है। शहर के निचले इलाकों में पानी भर जाने से सड़कें, घर और दुकानें बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। रघुकुल मार्केट, जो सूरत के कपड़ा उद्योग का दिल माना जाता है, की गलियां अब धोबी घाट जैसी बन गई हैं। दुकानों में घुसे पानी ने हजारों साड़ियों, लहंगों और अन्य कपड़ों को भीगो दिया, जिसके कारण व्यापारियों का बड़ा स्टॉक खराब हो गया है।
व्यापारियों की निराशाजनक स्थिति
इस आपदा के दृश्य वास्तव में दर्दनाक हैं। मार्केट की गलियों में रस्सियों पर भीगी साड़ियां सुखाने के लिए लटकाई गई हैं, जबकि दुकानों में पंखे और कूलर चलाकर कपड़ों को बचाने के निष्फल प्रयास किए जा रहे हैं। एक समय में 1000 से 2000 रुपये में बिकने वाली उच्च गुणवत्ता वाली साड़ियां अब मात्र 35 से 50 रुपये प्रति किलो के भाव में बेची जा रही हैं। एक किलो में लगभग तीन साड़ियां आ रही हैं, जो व्यापारियों के लिए आर्थिक रूप से विनाशकारी साबित हो रहा है। एक व्यापारी ने निराशा के साथ कहा, “हमने ये साड़ियां उच्च गुणवत्ता वाले ग्राहकों के लिए खरीदी थीं, लेकिन अब पानी के कारण ये खराब हो गई हैं। हमें इन्हें किलो के भाव में बेचना पड़ रहा है, जिससे हमारा नुकसान कई गुना बढ़ गया है।”
आर्थिक नुकसान और चुनौतियां
सूरत का कपड़ा उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। रघुकुल मार्केट जैसे बाजारों में हर साल करोड़ों रुपये का कारोबार होता है। हालांकि, इस बारिश की आपदा ने व्यापारियों को आर्थिक संकट में धकेल दिया है। कई व्यापारियों ने बताया कि उनका अधिकांश माल खराब हो गया है, और नया माल खरीदने के लिए उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। इसके अलावा, बाजार में ग्राहकों की आवाजाही भी कम हो गई है, जिसके कारण बिक्री लगभग ठप हो गई है।
सरकारी सहायता की उम्मीद
व्यापारियों ने सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के व्यापारियों के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। साथ ही, शहर की ड्रेनेज व्यवस्था में सुधार की भी जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचा जा सके। स्थानीय प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति का मूल्यांकन शुरू कर दिया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस राहत की घोषणा नहीं हुई है।
आगे का रास्ता
सूरत के कपड़ा उद्योग ने पहले भी कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन इस बारिश की आपदा ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। भीगे कपड़ों को सुखाने के प्रयास और नुकसान को कम करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन आर्थिक नुकसान की भरपाई करना एक बड़ी चुनौती है। यह घटना शहर के बुनियादी ढांचे और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर भी सवाल उठाती है। अंत में, सूरत के कपड़ा व्यापारियों की यह दुर्दशा एक चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन और अनियमित बारिश के कारण आने वाले समय में ऐसी आपदाएं और गंभीर हो सकती हैं। सरकार, व्यापारी संगठनों और समाज को मिलकर ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।