12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, उड़ान भरते ही कुछ सेकंड में ध्वस्त हो गई। इस भीषण हादसे में 274 लोगों की जान चली गई, और यह भारत की हाल के दशकों में सबसे घातक विमान दुर्घटना बन गई। लेकिन हादसे से ज्यादा विवादास्पद है इसकी जांच में भारत सरकार का रवैया, खासकर संयुक्त राष्ट्र की एविएशन एजेंसी ICAO की मदद को ठुकराना। क्या सरकार कोई सच्चाई छिपा रही है? आइए, इस मामले की गहराई में जाएं। ### हादसे का विवरण 12 जून 2025 को दोपहर करीब 2 बजे, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद फ्लाइट AI-171 एक मेडिकल कॉलेज की इमारत पर जा गिरी। विमान में सवार 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों सहित 274 लोगों की मौत हुई, और केवल एक यात्री, विशवास कुमार रमेश, चमत्कारिक रूप से बच निकला। पायलट ने उड़ान के बाद मेडे (आपातकालीन) कॉल जारी की थी, और 15 सेकंड बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रारंभिक जांच में दोनों इंजनों के एक साथ फेल होने की बात सामने आई, जो अत्यंत दुर्लभ है।
जांच में पारदर्शिता पर सवाल भारत की Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) इस हादसे की जांच कर रही है, जिसमें अमेरिका की NTSB और यूके की AAIB से तकनीकी सहायता ली जा रही है। ब्लैक बॉक्स (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) का डेटा 25 जून को दिल्ली में AAIB की लैब में निकाला गया। हालांकि, सरकार ने ICAO के एक अनुभवी जांचकर्ता को ऑब्जर्वर के रूप में शामिल करने की पेशकश को ठुकरा दिया, जिसने पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए।
ICAO का Annex 13 नियम कहता है कि विमान दुर्घटना की जांच में पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है। पहले MH-17 (2014) और यूक्रेनी जेटलाइनर (2020) जैसे मामलों में ICAO ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत के इस फैसले ने विशेषज्ञों और जनता के बीच संदेह को बढ़ाया। क्या सरकार ब्लैक बॉक्स के डेटा में कुछ छिपाना चाहती है?[
संभावित कारण और साजिश की थ्योरी AAIB जांच में कई पहलुओं पर गौर कर रही है, जिनमें शामिल हैं:
दोनों इंजनों की विफलता:
यह दुर्लभ घटना है, और जांच में इसे प्राथमिकता दी जा रही है।
*सॉफ्टवेयर गड़बड़ी**: एक अमेरिकी एविएशन वकील ने बोइंग 787 के TCMA और FADEC सिस्टम में सॉफ्टवेयर गड़बड़ी की आशंका जताई।
सबोटेज की आशंका: भारतीय सुरक्षा एजेंसियां ईंधन में छेड़छाड़, रखरखाव में गड़बड़ी, और साइबर-फिजिकल हस्तक्षेप की जांच कर रही हैं।
पायलट की थकान और ATC की लापरवाही
कुछ विशेषज्ञों ने पायलट की थकान और एयर ट्रैफिक कंट्रोल की भूमिका पर भी सवाल उठाए। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि जांच सभी पहलुओं, जिसमें सबोटेज भी शामिल है, पर विचार कर रही है। हालांकि, ब्लैक बॉक्स डेटा के विश्लेषण में देरी और तकनीकी ब्योरे की कमी ने आलोचनाओं को हवा दी।
ICAO की मदद क्यों ठुकराई? भारत सरकार ने दावा किया कि AAIB के पास जांच की पूरी क्षमता है, और ब्लैक बॉक्स डेटा का विश्लेषण दिल्ली में ही किया जाएगा। लेकिन ICAO की मदद ठुकराने का निर्णय कई सवाल उठाता है:
क्या सरकार अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचना चाहती है? - क्या ब्लैक बॉक्स में कोई ऐसी जानकारी है जो सरकार के लिए असहज हो सकती है? - क्या यह निर्णय बोइंग या एयर इंडिया पर दबाव को कम करने की कोशिश है? सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ICAO की भागीदारी जांच की विश्वसनीयता को बढ़ा सकती थी। सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार कोई सच्चाई छिपा रही है।
नतीजे और भविष्य AAIB 11 जुलाई तक एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी करने वाली है, जो हादसे के बारे में प्रारंभिक जानकारी देगी। लेकिन अंतिम निष्कर्षों में महीनों लग सकते हैं। इस बीच, भारत ने सभी 33 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों की गहन जांच के आदेश दिए हैं। बोइंग और एयर इंडिया पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि 2019-2023 में ड्रीमलाइनर के उत्पादन में कई खामियां सामने आई थीं।
निष्कर्ष एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि भारत की एविएशन जांच प्रक्रिया और पारदर्शिता पर एक बड़ा सवाल है। ICAO की मदद ठुकराने और जांच में देरी ने जनता के बीच अविश्वास को बढ़ाया है। क्या यह हादसा तकनीकी खराबी था, या इसके पीछे कोई साजिश है? जब तक ब्लैक बॉक्स का पूरा डेटा और जांच के निष्कर्ष सामने नहीं आते, तब तक सवाल गूंजता रहेगा: "ड्रीमलाइनर गिरा, या गिराया गया?"