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Tuesday, 8 July 2025

चैतर वसावा: गुजरात के आदिवासी योद्धा जिन्होंने मनरेगा घोटाले को उजागर कर BJP को दी चुनौती

चैतर वसावा: गुजरात के आदिवासी योद्धा जिन्होंने मनरेगा घोटाले को उजागर कर BJP को दी चुनौती
गुजरात की राजनीति में एक नया तूफान उठ रहा है, और इस तूफान का नाम है चैतर वसावा। आम आदमी पार्टी (AAP) के युवा और जुझारू विधायक, डेडियापाड़ा से चुने गए चैतर वसावा, आदिवासी समुदाय के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरे हैं। उनकी बेबाक आवाज और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ने न केवल गुजरात की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को असहज कर दिया है, बल्कि पूरे राज्य में उन्हें एक ताकतवर नेता के रूप में स्थापित कर दिया है।

       मनरेगा घोटाले का पर्दाफाश, जेल बनी इनाम

चैतर वसावा ने हाल ही में गुजरात में मनरेगा योजना में हुए सैकड़ों करोड़ रुपये के घोटाले को उजागर किया। इस योजना, जो ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में लोगों के लिए जीवनयापन का आधार है, में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की बात सामने आई। चैतर ने न केवल इस घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि ठोस सबूत पेश कर जांच की मांग की। उनकी इस हिम्मत का नतीजा? उन्हें और उनके समर्थकों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया। 7 दिसंबर 2024 को, भरूच के राजपारडी थाने में उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें उन पर एक औद्योगिक इकाई में अनधिकृत प्रवेश और अधिकारियों को धमकाने का आरोप लगाया गया। यह मामला अंकलेश्वर जीआईडीसी में एक बॉयलर विस्फोट के बाद का था, जिसमें चार श्रमिकों की मौत हो गई थी। चैतर का कहना था कि वे मृतक श्रमिकों के परिवारों से मिलने गए थे, लेकिन BJP सरकार ने इसे मौके के रूप में इस्तेमाल कर उन्हें निशाना बनाया।

 आदिवासी समाज का नया चेहरा

चैतर वसावा केवल एक विधायक नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के लिए एक मसीहा बन गए हैं। गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में, जहां वन अधिकार कानून और जमीन के मालिकाना हक को लेकर लंबे समय से संघर्ष चल रहा है, चैतर ने लोगों की आवाज को बुलंद किया। उनकी गिरफ्तारी ने आदिवासी समुदाय में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। X पर कई यूजर्स ने इसे BJP की "तानाशाही" और आदिवासी समाज को दबाने की साजिश करार दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में, चैतर ने भरूच सीट से AAP के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, हालांकि वे जीत नहीं पाए। लेकिन उनकी हार ने उनके इरादों को कमजोर नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने और जोर-शोर से आदिवासियों के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाया।

BJP की बौखलाहट और AAP की बढ़ती ताकत 

चैतर वसावा की गिरफ्तारी को कई लोग BJP की घबराहट से जोड़कर देख रहे हैं। AAP ने गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर अपनी मौजूदगी दर्ज की थी, और चैतर उनमें से एक प्रमुख चेहरा हैं। X पर AAP समर्थकों का दावा है कि BJP, AAP की बढ़ती लोकप्रियता और चैतर की जन-आकर्षण से डर गई है। अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी चैतर के समर्थन में आवाज उठाई, इसे "तानाशाही" करार दिया।

गुजरात में बदलाव की बयार

 चैतर वसावा की गिरफ्तारी ने गुजरात की राजनीति में एक नए आंदोलन को जन्म दिया है।
 X पर #StandWithChaitarVasava और #JusticeForSirohiTribals जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जो दर्शाते हैं कि जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। आदिवासी समुदाय, जो गुजरात की लगभग 15% आबादी का हिस्सा है, अब चैतर को अपने हक की लड़ाई का प्रतीक मान रहा है।

 चैतर की कहानी केवल एक विधायक की नहीं, बल्कि एक ऐसे युवा नेता की है, जो सत्ता के सामने झुकने से इनकार करता है। उनकी गिरफ्तारी ने उन्हें और ताकतवर बनाया है, और यह साफ है कि गुजरात में बदलाव की बयार चल रही है। क्या चैतर वसावा गुजरात की राजनीति में एक नया इतिहास लिखेंगे? यह तो वक्त बताएगा, लेकिन उनकी लड़ाई ने निश्चित रूप से लाखों लोगों के दिलों में जगह बना ली है। 

 चैतर वसावा की कहानी साहस, संघर्ष और सच्चाई की है। मनरेगा घोटाले को उजागर करने की उनकी हिम्मत ने उन्हें जेल तो भेजा, लेकिन साथ ही गुजरात के आदिवासी समाज में एक नई चेतना जगा दी। जैसे-जैसे उनकी आवाज और मजबूत होती जाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि गुजरात की राजनीति में यह युवा योद्धा कितनी ऊंचाइयों को छूता है।