पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव के एक बयान की कड़ी निंदा की है। यह बयान बिहार मतदाता सूची में कथित तौर पर बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के लोगों के नाम शामिल होने की खबरों पर आधारित था। चौधरी ने तेजस्वी की भाषा पर आपत्ति जताते हुए इसे बिहार की अस्मिता के लिए अपमानजनक बताया। शांभवी चौधरी ने कहा, "यह आश्चर्यजनक है कि तेजस्वी यादव इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि राजनीति में किस तरह की भाषा का उपयोग करना चाहिए। हम जनप्रतिनिधि हैं और बिहार का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब हम बिहार की अस्मिता को बनाए रखने की बात करते हैं, तब ऐसी भाषा का इस्तेमाल, जिसे कोई सार्वजनिक रूप से दोहरा भी नहीं सकता, उचित नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "हिंदी में कई शब्द हैं, जिनका उपयोग मर्यादा में रहकर किया जा सकता है। कड़ी आलोचना की जा सकती है, आवाज उठाई जा सकती है, लेकिन ऐसी भाषा का उपयोग हम सभी के लिए अपमानजनक है।" चौधरी ने यह भी दावा किया कि बिहार बंद के बाद आरजेडी नेताओं में बौखलाहट साफ दिख रही है।
तेजस्वी यादव ने क्या कहा था?
तेजस्वी यादव ने बिहार मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों के नाम होने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "ये सूत्र कौन हैं? ये वही सूत्र हैं, जो इस्लामाबाद, कराची और लाहौर पर कब्जा करवा रहे थे।" इस दौरान उन्होंने एक ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया, जिसे लेकर शांभवी चौधरी ने आपत्ति जताई।
तेजस्वी ने यह भी कहा, "अगर ऐसी कोई बात है, तो आखिरी बार 2003 में यूपीए सरकार के समय विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) हुआ था। उसके बाद 2014, 2019 और 2024 के चुनाव हुए। हम उन चुनावों में तीन से चार लाख वोटों से हारे। तो क्या यह मान लिया जाए कि विदेशियों ने नरेंद्र मोदी जी को वोट दिया?"
तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। उन्होंने इसे "पूरा ढकोसला" करार देते हुए कहा कि अगर कोई संदिग्ध नाम मतदाता सूची में शामिल हुआ, तो इसके लिए 2005 से सत्ता में रही एनडीए सरकार जिम्मेदार है।
राजनीतिक विवाद का पृष्ठभूमि
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। तेजस्वी यादव और विपक्षी महागठबंधन ने इस प्रक्रिया को गरीब और हाशिए पर रहने वाले मतदाताओं के वोटिंग अधिकार छीनने की साजिश करार दिया है। दूसरी ओर, बीजेपी और जेडी(यू) ने इसे नियमित प्रक्रिया बताते हुए विपक्ष पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है।
शांभवी चौधरी के बयान ने इस विवाद को और हवा दी है, जिससे बिहार की सियासत में एक नया तनाव पैदा हो गया है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह के बयानों से राजनीतिक माहौल और गर्म होने की संभावना है।
सज्जाद नायाणी