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Sunday, 13 July 2025

बिहार वोटर लिस्ट विवाद: नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार के नागरिकों के नाम, घुसपैठ की जिम्मेदारी किसकी?

बिहार वोटर लिस्ट विवाद: नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार के नागरिकों के नाम, घुसपैठ की जिम्मेदारी किसकी?
पटना, बिहार: बिहार में चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान वोटर लिस्ट में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम मिलने की खबर ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इस खुलासे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस घुसपैठ की जिम्मेदारी किसकी है, और क्या पहले हुए चुनावों में चुनी गई सरकारें भी इस कारण से सवालों के घेरे में हैं? चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) ने घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच के दौरान कई ऐसे व्यक्तियों की पहचान की, जिनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और डोमिसाइल सर्टिफिकेट जैसे भारतीय दस्तावेज थे, लेकिन वे नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के मूल निवासी बताए जा रहे हैं। इन नामों को 1 अगस्त से 30 अगस्त तक गहन जांच के बाद अंतिम मतदाता सूची से हटाया जाएगा, जो 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होगी।

                       प्रशांत किशोर 
इस मुद्दे पर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों के नाम शामिल थे, तो क्या हाल के लोकसभा चुनावों में उपयोग की गई वोटर लिस्ट भी अवैध थी? किशोर ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार और केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "बिहार में 20 साल से नीतीश कुमार सत्ता में हैं और केंद्र में 11 साल से नरेंद्र मोदी। फिर इन विदेशी नागरिकों के बिहार में रहने और वोटर लिस्ट में शामिल होने की जिम्मेदारी किसकी है? पुलिस और प्रशासन क्या कर रहा था?"


विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इन दावों को खारिज करते हुए इसे "सूत्रों का अफवाह" करार दिया। उन्होंने कहा, "ये वही सूत्र हैं जो कहते हैं कि इस्लामाबाद, कराची और लाहौर पर कब्जा हो गया। हम इन सूत्रों को 'मूत्र' समझते हैं।" तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि अगर वोटर लिस्ट में अवैध नाम शामिल हुए, तो इसके लिए 2005 से सत्ता में रही एनडीए सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, "क्या इसका मतलब यह है कि एनडीए की जीत फर्जी थी?"
                           केछुआ 

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए है। 80.11% मतदाताओं ने अब तक अपने विवरण जमा कर दिए हैं, और 25 जुलाई तक यह प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। हालांकि, विपक्षी दलों जैसे राजद, कांग्रेस और AIMIM ने इस प्रक्रिया को "बैकडोर NRC" करार देते हुए आशंका जताई है कि इससे वास्तविक मतदाताओं, खासकर गरीब और प्रवासी समुदायों, का नाम काटा जा सकता है।

इस विवाद ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। सवाल यह है कि क्या यह घुसपैठ प्रशासनिक चूक है या सुनियोजित साजिश? और क्या इसका असर पहले हुए चुनावों की वैधता पर पड़ेगा? इन सवालों के जवाब जांच के बाद ही मिल पाएंगे।