सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसका मतलब है कि निर्वाचन आयोग की यह महत्वपूर्ण कवायद बिहार में निर्बाध रूप से जारी रहेगी। गुरुवार, 10 जुलाई 2025 को इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभी अंतरिम आदेश की कोई आवश्यकता नहीं है। अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है। ### कोर्ट का निर्देश: पहचान दस्तावेजों की सूची को सीमित न करें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि मतदाता सूची के संशोधन के लिए पहचान के दस्तावेजों की सूची को सीमित न किया जाए। कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को मान्यता देने से याचिकाकर्ताओं की अधिकांश शिकायतों का समाधान हो सकता है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया समावेशी और पारदर्शी होनी चाहिए ताकि किसी भी वर्ग को मतदान के अधिकार से वंचित न किया जाए।
याचिकाकर्ताओं की दलील:
समान अवसरों का उल्लंघन याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया से बड़ी संख्या में मतदाताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया समान अवसरों के सिद्धांत का उल्लंघन करती है और कई पात्र मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाए जाने का खतरा है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और यह जल्दबाजी में लागू की जा रही है, जिससे मतदाताओं के अधिकारों का हनन हो सकता है। ### निर्वाचन आयोग का जवाब: प्रक्रिया की पल-पल निगरानी निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है और इसकी हर स्तर पर निगरानी की जा रही है। आयोग ने कहा कि यह कवायद मतदाता सूची को सटीक और विश्वसनीय बनाने के लिए शुरू की गई है ताकि फर्जी मतदाताओं को हटाया जा सके और पात्र मतदाताओं को शामिल किया जा सके। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं की जा रही है और सभी नियमों का पालन किया जा रहा है।
कोर्ट ने उठाए व्यावहारिकता पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से इस प्रक्रिया की व्यावहारिकता और समयसीमा को लेकर सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि क्या आयोग इस प्रक्रिया को निर्धारित समय में पूरा करने में सक्षम है और क्या यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी पात्र मतदाता इस प्रक्रिया से प्रभावित न हो। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस प्रक्रिया को और अधिक समावेशी और प्रभावी बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए।
बिहार में क्यों महत्वपूर्ण है यह प्रक्रिया?
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और मतदाता सूची का सटीक होना एक निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए अत्यंत आवश्यक है। विशेष गहन संशोधन का उद्देश्य मतदाता सूची से डुप्लिकेट, फर्जी, या गैर-निवासी मतदाताओं को हटाना और नए पात्र मतदाताओं को शामिल करना है। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर कई विवाद भी सामने आए हैं, क्योंकि कुछ लोग इसे एक खास समुदाय या वर्ग को लक्षित करने का आरोप लगा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को निर्धारित की है। तब तक निर्वाचन आयोग को अपनी प्रक्रिया को और मजबूत करने और कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए कदम उठाने होंगे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले की बारीकी से निगरानी करेगा ताकि यह सुनिश्चित हो कि मतदाताओं के अधिकारों का हनन न हो।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बिहार में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया से मतदाता सूची को और विश्वसनीय बनाने में मदद मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि इस प्रक्रिया में किसी भी पात्र मतदाता को मतदान के अधिकार से वंचित न किया जाए। निर्वाचन आयोग को कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए इस प्रक्रिया को समावेशी और प्रभावी ढंग से लागू करना होगा ताकि बिहार में होने वाले चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय हों।