मणिपुर, जो पिछले दो वर्षों से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है, वहाँ की वास्तविकता को मुख्यधारा का मीडिया लगातार नजरअंदाज कर रहा है। 3 मई 2023 को भड़की मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच हिंसा में कम से कम 260 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 60,000 से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है, और आंतरिक रूप से विस्थापित लोग राहत शिविरों में फंसे हुए हैं। लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 सितंबर 2025 को राज्य का दौरा किया—यह उनकी हिंसा के बाद पहली यात्रा थी—तो मीडिया ने विकास परियोजनाओं और स्वागत की चकाचौंध पर फोकस किया, जबकि विरोध, बवाल और राजनीतिक उथल-पुथल को दबा दिया। यह यात्रा चुराचांदपुर (कुकी बहुल क्षेत्र) और इंफाल (मैतेई बहुल) में हुई, जहाँ पीएम ने 8,500 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की आधारशिला रखी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही थी। आइए, उन घटनाओं पर नजर डालें जो मीडिया ने छिपाईं। ### पीएम यात्रा से पहले चुराचांदपुर में तनाव और बवाल पीएम मोदी की यात्रा से ठीक 48 घंटे पहले, यानी 11 सितंबर 2025 को चुराचांदपुर जिले में तनाव चरम पर था। पीयरसनमुन गांव में, जो चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दूर है, उपद्रवियों ने 13 सितंबर को लगाई गई सजावट को तोड़फोड़ना शुरू कर दिया। वायरल वीडियो में दिखा कि कुछ असामाजिक तत्वों ने सजावटी संरचनाओं को ध्वस्त किया और उन्हें आग के हवाले कर दिया। एक वीडियो में पुलिसकर्मी खड़े होकर तमाशा देखते नजर आए, जबकि घटनास्थल पीस ग्राउंड (जहाँ पीएम को संबोधित करना था) से मात्र 2 किलोमीटर दूर था। सुरक्षाबलों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और आगे नुकसान रोका, लेकिन यह घटना राज्य की नाजुक शांति को उजागर करती है। चुराचांदपुर, जो हिंसा का मुख्य केंद्र रहा है, में कुकी-जो संगठनों ने पीएम के दौरे का स्वागत तो किया, लेकिन आधिकारिक कार्यक्रम में नृत्य कार्यक्रम का विरोध किया। कुकी इन्नी मणिपुर और इम्फाल हमर डिस्प्लेस्ड कमिटी ने कहा, "हमारा शोक अभी खत्म नहीं हुआ, आंसू सूखे नहीं हैं, घाव भर नहीं गए। हम आनंद से नाच नहीं सकते।" इसके अलावा, कोरकॉम जैसे उग्रवादी समूहों ने राज्यव्यापी हड़ताल का आह्वान किया, और भारी बारिश ने भी सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी। 13 सितंबर को पीएम को हेलीकॉप्टर से उतरना पड़ा, और वे 65 किलोमीटर कार से चुराचांदपुर पहुंचे, जहाँ उन्होंने विस्थापित परिवारों से मुलाकात की। लेकिन विरोध के स्वर भी तेज थे—कांग्रेस और मणिपुर पीपुल्स पार्टी की युवा इकाइयों ने इंफाल में "राजनीतिक चाल" का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। ### नागरिक समाज का तीखा विरोध और नारे पीएम के कार्यक्रम से पहले, इंफाल के खुयाथोंग स्थित पोइरेई लीमारोल मीरा पैबी अपुनबा संगठन ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया। महासचिव ख. अपाबी लीमा ने पीएम पर हिंसा से निपटने में विफलता का आरोप लगाया और कहा कि यह संकट "अवैध प्रवासियों" द्वारा भड़काया गया। उन्होंने याद दिलाया कि दो साल चार महीनों में हत्याएं, बलात्कार, चोटें और जबरन गुमशुदगी ने हजारों जिंदगियां बर्बाद की हैं। विरोध के नारे थे: "बूचर मोदी वापस जाओ—कसाई वापस जाओ!" अन्य बैनरों में लिखा था: "आत्मनिर्णय हमारा अधिकार है," "अफस्पा एक औपनिवेशिक कानून है," "फूट डालो और राज करो की नीति बंद करो," और "हम मोदी की यात्रा की निंदा करते हैं।" अपाबी लीमा ने सवाल उठाया कि यात्रा का उद्देश्य क्या है—क्या यह "मणिपुर को हमेशा के लिए बर्बाद करने की एक और चाल" है? राज्यपाल अजय कुमार भल्ला के हाथ-पैर फूल गए, और उन्होंने 10 सितंबर को चुराचांदपुर में पांच कुकी-जो विधायकों—नगुरसंगलुर सनाटे, वुंगज़ागिन वाल्टे, एल हाओकिप, एलएम खौटे और पाओलियनलाल हाओकिप—के साथ बैठक की। भाजपा चुराचांदपुर जिला अध्यक्ष थंगलाम हाओकिप भी मौजूद थे। चर्चा रसद और सुरक्षा पर केंद्रित रही, लेकिन यह बैठक भी विवादास्पद बनी। कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह ने इसे "लोकतंत्र विरोधी" बताते हुए कहा कि यह निर्वाचित प्रतिनिधियों को दरकिनार करती है। ### बीजेपी को बड़ा झटका: 43 सदस्यों का सामूहिक इस्तीफा राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, 11 सितंबर को फुंगयार (उखरुल जिले) में भाजपा को सबसे बड़ा झटका लगा। 43 मंडल और मोर्चा सदस्यों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से एकमुश्त इस्तीफा दे दिया। इसमें मंडल अध्यक्ष, महिला, युवा और किसान मोर्चा के अध्यक्ष, उनके सहयोगी, अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पदाधिकारी और 53 बूथ सदस्य शामिल थे। पहल की नगाचोनमी रामशांग ने, जो भाजपा मणिपुर प्रदेश के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। संयुक्त बयान में इस्तीफा देने वालों ने कारण बताए: परामर्श, समावेशिता और जमीनी स्तर के नेतृत्व के प्रति सम्मान की कमी। उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी और विचारधारा के प्रति निष्ठा अटल है, लेकिन वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। हम मणिपुर की जनता के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।" भाजपा ने इसे "प्रचार स्टंट" बताकर खारिज किया, लेकिन यह घटना पार्टी की आंतरिक कलह को उजागर करती है। राज्य इकाई ने कहा कि ये सदस्य 2022 चुनावों से ही "एंटी-पार्टी गतिविधियों" में लिप्त थे, और अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।
राज्यपाल भल्ला ने पूर्व सीएम एन. बिरेन सिंह और राज्य भाजपा प्रमुख ए. शारदा देवी सहित इंफाल घाटी के 20 भाजपा विधायकों से भी मुलाकात की, जो और विवाद को जन्म दे रही है। ### मीडिया की चुप्पी और वास्तविकता मणिपुर की हिंसा ने मैतेई और कुकी समुदायों से शुरू होकर पूरे राज्य को प्रभावित किया है। म्यांमार से सशस्त्र विद्रोहियों और ड्रग्स की घुसपैठ ने संघर्ष को और भड़काया है। पीएम ने चुराचांदपुर में कहा, "मणिपुर शांति और समृद्धि का प्रतीक बनेगा," और विस्थापितों से मिले, लेकिन विरोध प्रदर्शन, इस्तीफे और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं को मीडिया ने हाशिए पर डाल दिया। कांग्रेस ने इसे "टोकनिज्म" और "अपमान" बताया, जबकि विपक्ष का कहना है कि यह यात्रा शांति बहाली के बजाय राजनीतिक लाभ के लिए थी। सवाल वही है: बिकाऊ मीडिया मणिपुर की पीड़ा क्यों नहीं दिखा रहा? राज्य को शांति की जरूरत है, न कि सिर्फ सजावट की।