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Thursday, 4 September 2025

बिहार चुनाव में BJP की जीत के लिए RSS का मास्टरप्लान, 10 हजार स्वयंसेवक मैदान में

बिहार चुनाव में BJP की जीत के लिए RSS का मास्टरप्लान, 10 हजार स्वयंसेवक मैदान में
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मजबूत करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सूत्रों के मुताबिक, RSS ने बिहार में 10 हजार स्वयंसेवकों को तैनात किया है, जो हरियाणा मॉडल की तर्ज पर नाराज और कन्फ्यूज्ड वोटरों को मनाने का काम करेंगे। इसके अलावा, बिहार में पहले से मौजूद 6 हजार कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कुल 16 हजार स्वयंसेवक बूथ स्तर पर सक्रिय हैं।

मिशन त्रिशूल: रणनीति का केंद्र

RSS ने बिहार चुनाव के लिए 'मिशन त्रिशूल' नामक एक खास रणनीति तैयार की है। इस मिशन के तहत तीन मुख्य लक्ष्य हैं: 1. नाराज वोटरों की पहचान और उन्हें मनाना। 2. प्रभावी मुद्दों का आकलन। 3. BJP के लिए फायदेमंद और नुकसानदेह मुद्दों का विश्लेषण।

 हर गांव में 10-15 स्वयंसेवकों की टीमें बनाई गई हैं, जो घर-घर जाकर लोगों से संपर्क कर रही हैं। ये टीमें सीमांचल से मगध और पटना से मुजफ्फरपुर तक फैले RSS के नेटवर्क का हिस्सा हैं। खास तौर पर महिला वोटरों को साधने के लिए RSS से जुड़े महिला संगठनों ने भी अलग-अलग टीमें बनाई हैं, जो घरेलू और कामकाजी महिलाओं तक पहुंच रही हैं।

हरियाणा मॉडल की सफलता को दोहराने की कोशिश

RSS ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति से BJP को शानदार जीत दिलाई थी। वहां सितंबर 2024 में शुरू किए गए ग्रामीण मतदाता आउटरीच कार्यक्रम में प्रत्येक जिले में 150 स्वयंसेवकों को तैनात किया गया था। इन स्वयंसेवकों ने चौपालों और बैठकों के जरिए नाराज वोटरों को मनाया और सत्ता विरोधी भावना को कम किया। बिहार में भी RSS इसी मॉडल को लागू कर रहा है, जहां स्वयंसेवक सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक डोर-टू-डोर कैंपेनिंग में जुटे हैं।

जमीनी स्तर पर सक्रियता

 RSS का कहना है कि वे किसी पार्टी के लिए सीधे प्रचार नहीं करते, बल्कि समाज के लिए बेहतर काम करने वाले उम्मीदवारों को चुनने की अपील करते हैं। हालांकि, बिहार में उनकी सक्रियता BJP के लिए अनुकूल माहौल बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। स्वयंसेवक गांव-गांव में लोगों से उनकी समस्याएं सुन रहे हैं और BJP की जनकल्याणकारी योजनाओं को उनके बीच ले जा रहे हैं।

चुनावी रणनीति में RSS की ताकत।

RSS का जमीनी नेटवर्क और संगठनात्मक ढांचा BJP की रीढ़ माना जाता है। महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में इस मॉडल की सफलता के बाद बिहार में भी RSS कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। मार्च तक स्वयंसेवकों को अपनी रिपोर्ट प्रांतीय बैठक में जमा करने का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें नाराजगी के कारणों और प्रभावी मुद्दों का विश्लेषण होगा।

बिहार में RSS की यह रणनीति क्या BJP को सत्ता में लाने में कामयाब होगी? यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन फिलहाल स्वयंसेवकों का जमीनी स्तर पर सक्रिय होना विपक्ष के लिए चुनौती बन सकता है।