उत्तराखंड में पेपर लीक का काला साया फिर से मंडरा रहा है। राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की ग्रेजुएट लेवल भर्ती परीक्षा के तीन पेज परीक्षा शुरू होने के महज 30 मिनट बाद ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इससे आक्रोशित छात्रों ने देहरादून के परेड ग्राउंड से लेकर अल्मोड़ा, हल्द्वानी तक सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया। नारों से गूंज रही सड़कें—"पेपर चोर गद्दी छोड़"—युवाओं की हताशा बयां कर रही हैं। पूरे देश में फैले इस भ्रष्टाचार ने लाखों छात्रों के सपनों पर पानी फेर दिया है। क्या बच्चे पढ़ाई करें या सड़कों पर न्याय की गुहार लगाएं? विपक्ष केंद्र और राज्य सरकार पर इस्तीफे की मांग कर रहा है, जबकि सीएम पुष्कर सिंह धामी इसे 'नकल जिहाद' बता रहे हैं। 21 सितंबर को सुबह 11 बजे शुरू हुई परीक्षा के दौरान हरिद्वार के एक सेंटर से कथित तौर पर प्रश्नपत्र की तस्वीरें क्लिक की गईं और व्हाट्सएप ग्रुप्स में शेयर कर दी गईं। छात्र संगठनों का दावा है कि परीक्षा से ठीक 30 मिनट पहले ही पेपर लीक हो गया था, जिससे हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लग गया। देहरादून में सैकड़ों बेरोजगार युवाओं ने उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले परेड ग्राउंड पर धरना दिया। वे सचिवालय की ओर मार्च करना चाहते थे, लेकिन धारा 163 के तहत लगे प्रतिबंधों के कारण पुलिस ने उन्हें रोक लिया। प्रदर्शनकारियों ने सीबीआई जांच, परीक्षा रद्द करने और दोषियों को कड़ी सजा की मांग की। एक छात्र ने कहा, "हम रात-दिन पढ़ते हैं, लेकिन माफिया 15-15 लाख लेकर नौकरी बेच देते हैं। सरकार कुछ नहीं कर रही।" पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी खालिद मलिक को गिरफ्तार किया, जो परीक्षा सेंटर पर तैनात था। इसके अलावा, पेपर लीक मास्टरमाइंड हकम सिंह रावत और उसके साथी पंकज गौर को भी पकड़ा गया, जो अभ्यर्थियों से 12-15 लाख रुपये ऐंठ रहे थे। राज्य सरकार ने पूर्व हाईकोर्ट जज की अगुवाई में एसआईटी गठित की है, जो मामले की गहन जांच करेगी। सीएम धामी ने कहा, "नकल माफिया सख्त कानूनों से परेशान हैं। यह 'नकल जिहाद' है, जो सरकार को बदनाम करने की साजिश है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।" लेकिन छात्रों का आरोप है कि 2023 के सख्त एंटी-चीटिंग कानून के बावजूद माफिया सक्रिय हैं। 2021 में भी UKSSSC की कई परीक्षाएं रद्द हो चुकी हैं। यह समस्या उत्तराखंड तक सीमित नहीं। बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में भी पेपर लीक के मामले सामने आ चुके हैं, जहां छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। सोशल मीडिया पर #PaperChorGaddiChod ट्रेंड कर रहा है। अल्मोड़ा में छात्रों ने सीएम धामी के खिलाफ नारेबाजी की, जबकि विकासनगर में युवाओं ने बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
एक पोस्ट में लिखा गया, "मोदी जी हमारा पेपर लीक है, धामी जी तो वीक हैं। लाखों युवा सड़कों पर हैं, उनकी सुन लीजिए।" विपक्षी नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा, "कांग्रेस 26 सितंबर को राज्यव्यापी प्रदर्शन करेगी। हकम सिंह जैसे अपराधियों को जमानत मिलना सरकार की मिलीभगत दिखाता है।" विशेषज्ञों का कहना है कि पेपर लीक भ्रष्टाचार की जड़ है, जो युवाओं को पढ़ाई से प्रदर्शन की ओर धकेल रहा है। बेरोजगारी दर चरम पर है, और सरकारी नौकरियों की भर्तियां प्रभावित हो रही हैं। एक अभ्यर्थी ने कहा, "हमारे सपने चूर हो रहे हैं। अगर सरकार कुछ नहीं कर सकती, तो गद्दी क्यों नहीं छोड़ देते?" केंद्रीय स्तर पर भी विपक्ष ने पीएम नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है। कुल मिलाकर, उत्तराखंड के ये प्रदर्शन पूरे देश की युवा पीढ़ी की पीड़ा का प्रतीक हैं। जहां एक तरफ सरकार एसआईटी और गिरफ्तारियां दिखा रही है, वहीं छात्रों का सवाल वाजिब है—क्या यह सब दिखावा है, या सच्ची सुधार आएंगे? आगामी दिनों में प्रदर्शन और तेज हो सकते हैं। उम्मीद है कि केंद्र और राज्य मिलकर इस भ्रष्टाचार की जड़ उखाड़ फेंकेंगे, ताकि युवा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।