Breaking

यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Tuesday, 16 September 2025

कश्मीर का सेब उद्योग खतरे में: बाढ़ और परिवहन रुकावट से हजार करोड़ का नुकसान

कश्मीर का सेब उद्योग खतरे में: बाढ़ और परिवहन रुकावट से हजार करोड़ का नुकसान
श्रीनगर: कश्मीर घाटी का सेब उद्योग, जो क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ है, इस साल भारी संकट का सामना कर रहा है। भारी बारिश, बाढ़, और जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग के बार-बार बंद होने के कारण सेब उत्पादकों को एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान की आशंका है। कश्मीर घाटी फ्रूट ग्रोअर्स यूनियन के अनुसार, हजारों टन सेब सड़ रहे हैं, जिससे लाखों किसानों और व्यापारियों की आजीविका खतरे में पड़ गई है। 

मौसम और बाढ़ का कहर कश्मीर घाटी में हर साल 20 से 25 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है, जो देश के सेब उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा है। यह उद्योग न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल देता है, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है। हालांकि, इस साल असामान्य मौसम ने सेब की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। लंबी बारिश और ओलावृष्टि के कारण फल समय से पहले गिर रहे हैं, जिससे उत्पादन में 20-30% तक की कमी आई है। दक्षिण कश्मीर के शोपियां और कुलगाम जैसे क्षेत्रों में किसानों ने बताया कि उनकी फसल का बड़ा हिस्सा बर्बाद हो चुका है। 

राजमार्ग बंदी से बढ़ी मुश्किलें जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग, जो कश्मीर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है, अगस्त के अंत से भूस्खलन और बाढ़ के कारण बार-बार बंद हो रहा है। इससे सेब से लदे सैकड़ों ट्रक फंस गए हैं। यूनियन के एक प्रतिनिधि ने बताया, "लगभग 2,500 ट्रक सेब फंसे हुए हैं, और हर दिन लाखों रुपये का माल सड़ रहा है।" इस रुकावट ने घाटी की 12 प्रमुख फल मंडियों में व्यापार को ठप कर दिया है। किसानों ने विरोध स्वरूप दो दिनों तक मंडियां बंद करने का फैसला किया है। 

 आर्थिक प्रभाव इस संकट का असर केवल किसानों तक सीमित नहीं है। कोल्ड स्टोरेज इकाइयां, परिवहन सेवाएं, और पैकेजिंग उद्योग भी प्रभावित हुए हैं। अनुमान है कि अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो नुकसान 1,200 करोड़ रुपये को पार कर सकता है। कश्मीर के सेब उद्योग का कुल कारोबार प्रतिवर्ष 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये का होता है, और इस तरह का नुकसान क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है। 

सरकार के प्रयास और मांगें केंद्र और राज्य सरकार ने कुछ राहत उपाय शुरू किए हैं, जैसे रेलवे द्वारा बदगाम से दिल्ली तक पार्सल ट्रेन सेवा। हालांकि, किसान इसे नाकाफी मानते हैं। स्थानीय नेताओं और किसान संगठनों ने सरकार से तत्काल वैकल्पिक मार्ग, वित्तीय सहायता, और फसल बीमा योजना लागू करने की मांग की है। एक किसान नेता ने कहा, "हमें केवल मुआवजे की नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए ठोस नीतियों की जरूरत है।" 

आगे की राह विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियमित मौसम कश्मीर के सेब उद्योग के लिए दीर्घकालिक चुनौती बन रहे हैं। किसानों को नई तकनीकों, जैसे जलवायु-अनुकूल किस्में और बेहतर भंडारण सुविधाएं, अपनाने की सलाह दी जा रही है। साथ ही, अवैध खनन और नदी तटों पर अतिक्रमण को रोकने की जरूरत है, जो बाढ़ की स्थिति को और गंभीर बनाते हैं। यह संकट न केवल कश्मीर के सेब उद्योग, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा है। तत्काल और प्रभावी कदमों के बिना, लाखों परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है।