पटना: बिहार में 4 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा बुलाए गए पांच घंटे के बिहार बंद के दौरान जहानाबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं की हरकतों ने मानवता को शर्मसार कर दिया। एक वायरल वीडियो में भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं को एक शिक्षिका को स्कूल जाने से रोकते हुए, उसे घसीटते और धक्का-मुक्की करते देखा गया। इतना ही नहीं, एक गर्भवती महिला को ले जा रही एंबुलेंस को भी कथित तौर पर रोका गया। यह बंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में बुलाया गया था, लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं की इन हरकतों ने उनके “मातृशक्ति सम्मान” के दावे पर सवाल खड़े कर दिए।
शिक्षिका के साथ अभद्रता, एंबुलेंस रोकी जहानाबाद में एक महिला शिक्षिका स्कूल जाने की कोशिश कर रही थीं, जब भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोक लिया। वायरल वीडियो में दिख रहा है कि भाजपा की महिला कार्यकर्ताएं शिक्षिका को जबरदस्ती घसीट रही हैं और उनके साथ अभद्र व्यवहार कर रही हैं। यह सब बिहार पुलिस की मौजूदगी में हुआ, जिसने इस घटना को और भी गंभीर बनाया। इसके अलावा, एक गर्भवती महिला को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस को भी कथित तौर पर रोका गया, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हो रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि मां के सम्मान की बात करने वाले कार्यकर्ता दूसरी महिलाओं और मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं।
बिहार बंद का कारण और विवाद एनडीए ने 4 सितंबर को सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक बिहार बंद का आह्वान किया था। यह बंद दरभंगा में कांग्रेस और राजद की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां के खिलाफ कथित अभद्र टिप्पणी के विरोध में बुलाया गया। भाजपा नेताओं ने इस टिप्पणी को “सभी माताओं का अपमान” करार देते हुए बंद को “मातृशक्ति के सम्मान” का प्रतीक बताया। हालांकि, जहानाबाद की घटना और एंबुलेंस रोकने के आरोपों ने उनके इस दावे को खोखला साबित कर दिया।
विपक्ष की प्रतिक्रिया और जनता का गुस्सा विपक्षी दलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने बंद को “भाजपा की नौटंकी” करार देते हुए कहा कि यह जनता के असल मुद्दों—बेरोजगारी, महंगाई और बाढ़—से ध्यान भटकाने की कोशिश है। कांग्रेस ने भी शिक्षिका और एंबुलेंस के साथ हुए व्यवहार को “अमानवीय” बताया और बिहार सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर लोग इस घटना को “शर्मनाक” बता रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि अगर भाजपा कार्यकर्ता मां के सम्मान के नाम पर दूसरी महिलाओं और मरीजों का अपमान कर सकते हैं, तो उनकी मंशा पर कैसे भरोसा किया जाए।
क्या यह है मातृशक्ति का सम्मान? भाजपा और एनडीए ने इस बंद को मातृशक्ति के सम्मान से जोड़ा,
लेकिन जहानाबाद में एक शिक्षिका के साथ अभद्रता और एक गर्भवती महिला को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस को रोकने की घटना ने उनके दावों पर सवाल खड़े कर दिए। जनता पूछ रही है कि क्या मां के अपमान का बदला लेने के लिए दूसरों की मां-बेटियों और मरीजों को परेशान करना उचित है? यह घटना न केवल भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि यह भी सवाल उठा रही है कि क्या इस तरह की राजनीति से देश का भला हो सकता है।