गाज़ा की तबाही के बीच पिछले दो वर्षों से इज़राइल-हमास संघर्ष मध्य पूर्व का सबसे ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इज़राइल ने अमेरिका, नाटो और कुछ मुस्लिम देशों के समर्थन के साथ गाज़ा में व्यापक सैन्य अभियान चलाया। लेकिन सितंबर 2025 तक, गाज़ा की भयावह तबाही के बावजूद हमास को न तो पूरी तरह दबाया जा सका और न ही झुकाया जा सका। यह लेख इस जटिल संघर्ष और इसकी वैश्विक सियासत की पड़ताल करता है।
कतर ओर जोर्डन दोनो इज़राइल से मार खाए हुए हे जोर्डन के गोलान हाइटस क्षेत्र इज़राइल के कब्जे मे हे ओर बाप अमरीकन आर्मी बेस जोर्डन मे मौजूद हे
हमास का हमला और इज़राइल की प्रतिक्रिया हमास, 1987 में स्थापित एक इस्लामवादी संगठन, 2007 से गाज़ा पर शासन कर रहा है। इज़राइल, अमेरिका और कई पश्चिमी देश इसे आतंकवादी संगठन मानते हैं। 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इज़राइल पर अभूतपूर्व हमला किया, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 250 से अधिक बंधक बनाए गए। जवाब में, इज़राइल ने गाज़ा पर हवाई और जमीनी हमले शुरू किए, जिसका लक्ष्य हमास की सैन्य क्षमता और शासन को खत्म करना था। इज़राइल ने गाज़ा में अभूतपूर्व बमबारी की, जिसके परिणामस्वरूप सितंबर 2025 तक 65,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए, जिनमें ज्यादातर नागरिक, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इज़राइल का दावा है कि उसने हमास के 30,000 लड़ाकों में से 17,000 से अधिक को मार गिराया, लेकिन हमास ने अपनी भर्ती और संगठनात्मक ढांचे को बनाए रखा। गाज़ा में घर, स्कूल और अस्पताल तबाह हो गए, जिससे मानवीय संकट गहरा गया।
सहयोगियों की भूमिका: अमेरिका, नाटो और मुस्लिम देश इज़राइल को इस युद्ध में अमेरिका का मजबूत समर्थन प्राप्त रहा। 2023-2025 के बीच अमेरिका ने इज़राइल को 22.76 अरब डॉलर की सैन्य सहायता दी, जिसमें उन्नत हथियार और खुफिया जानकारी शामिल थी। अमेरिका ने इज़राइल के “आत्मरक्षा के अधिकार” का समर्थन किया, लेकिन साथ ही मानवीय संकट को लेकर युद्धविराम की मांग भी की। नाटो ने हमास के हमले की निंदा की और इज़राइल के साथ एकजुटता दिखाई, लेकिन सीधा सैन्य हस्तक्षेप नहीं किया। नाटो के कुछ सदस्य, जैसे तुर्की, ने गाज़ा में “नरसंहार” का हवाला देकर इज़राइल के साथ सहयोग पर रोक लगा दी। कुछ मुस्लिम देशों का रुख मिश्रित रहा। जॉर्डन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने हमास की निंदा की, लेकिन सैन्य सहायता नहीं दी। कतर और मिस्र ने मध्यस्थता की कोशिश की, लेकिन उनकी युद्धविराम योजनाएं टिकाऊ नहीं रहीं। दूसरी ओर, ईरान ने हमास को हथियार और वित्तीय सहायता प्रदान की, जिसने संगठन की युद्ध क्षमता को बनाए रखा। जुलाई 2025 में अरब लीग ने हमास से हथियार छोड़ने और गाज़ा छोड़ने की मांग की, लेकिन यह मांग प्रभावी नहीं हुई। ### हमास को दबाने में नाकामी के कारण इज़राइल और उसके सहयोगियों की हमास को पूरी तरह दबाने में असफलता के कई कारण हैं:
1.वैचारिक ताकत
हमास केवल एक सैन्य संगठन नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन है। गाज़ा की तबाही ने फलस्तीनी युवाओं में कट्टरता को बढ़ावा दिया, जिससे हमास की भर्ती बढ़ी।
2. संगठनात्मक ढांचा
हमास की गाज़ा और विदेशी इकाइयां लचीली हैं। भूमिगत सुरंगों का नेटवर्क और बाहरी समर्थन (विशेष रूप से ईरान से) ने इसे युद्ध में टिकाए रखा।
3. मानवीय संकट और अंतरराष्ट्रीय दबाव
इज़राइल की बमबारी ने गाज़ा को तबाह कर दिया, जिससे संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने “नरसंहार” की चेतावनी दी। अप्रैल 2025 तक, प्यू रिसर्च के अनुसार, अमेरिका में इज़राइल के प्रति समर्थन 53% तक गिर गया।
4. राजनीतिक समाधान की कमी
इज़राइल ने हमास को सैन्य रूप से कमजोर किया, लेकिन गाज़ा के शासन के लिए कोई वैकल्पिक योजना नहीं दी। अमेरिका और सहयोगियों ने “शांति” की बात की, लेकिन ठोस रणनीति नहीं बनाई।
गाज़ा का मानवीय संकट गाज़ा में युद्ध ने भयावह मानवीय संकट पैदा किया। लैंसेट के अनुमान के अनुसार, जून 2024 तक 64,260 लोग मारे गए, जो अक्टूबर 2024 तक 70,000 से अधिक हो गए। भुखमरी, बीमारी और विस्थापन ने लाखों लोगों को प्रभावित किया। इज़राइल ने दावा किया कि हमास ने नागरिकों को निकासी से रोका, जबकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दोनों पक्षों पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया। जनवरी 2025 में बंधकों की रिहाई के साथ युद्धविराम हुआ, जिसे हमास ने अपनी जीत बताया। लेकिन मार्च 2025 में इज़राइल ने फिर से हमले शुरू किए। अगस्त 2025 में हमास ने युद्ध समाप्ति का प्रस्ताव स्वीकार किया, लेकिन इज़राइल की गाज़ा सिटी पर घेराबंदी की धमकी ने इसे नाकाम कर दिया। ### निष्कर्ष: भविष्य की चुनौतियां इज़राइल, अमेरिका, नाटो और कुछ मुस्लिम देशों के समर्थन के बावजूद हमास को पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं हुआ। गाज़ा की तबाही ने मानवीय संकट को गहरा किया, लेकिन हमास की वैचारिक और सैन्य ताकत बरकरार रही। यह संघर्ष केवल सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक और वैचारिक भी है। भविष्य में दो-राज्य समाधान या फलस्तीनी प्राधिकरण को सत्ता सौंपना जैसे कदम जरूरी हैं। अन्यथा, यह हिंसा का चक्र क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाएगा।
16/9/2025
एस,बी,नायाणी