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Sunday, 7 September 2025

जापान के पीएम शिगेरु इशिबा का इस्तीफा, आखिरी मुलाकात भारतीय प्रधान मंत्री मोदी से

जापान के पीएम शिगेरु इशिबा का इस्तीफा, आखिरी मुलाकात भारतीय प्रधान मंत्री मोदी से
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने 7 सितंबर 2025 को अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी। यह घोषणा उनकी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हालिया मुलाकात के कुछ दिनों बाद आई, जिसने इस संयोग को चर्चा का विषय बना दिया। इशिबा का इस्तीफा उनकी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) की जुलाई 2025 में ऊपरी सदन के चुनाव में हार और पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव का परिणाम है। 

 इस्तीफे की वजह अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री बने इशिबा को गठबंधन सरकार के कमजोर प्रदर्शन और आर्थिक चुनौतियों, जैसे महंगाई और चावल नीति सुधारों के कारण आलोचना झेलनी पड़ी। ऊपरी सदन में हार और संसद में बहुमत खोने के बाद पार्टी में विभाजन की आशंका थी। इशिबा ने पार्टी को एकजुट रखने के लिए इस्तीफा देने का फैसला किया, ताकि नया नेतृत्व चुना जा सके। 

 मोदी-इशिबा मुलाकात 29 अगस्त 2025 को टोक्यो में पीएम मोदी और इशिबा की मुलाकात में भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने अगले दशक में 6.8 बिलियन डॉलर के निवेश और पांच साल में आधा मिलियन लोगों के आदान-प्रदान का लक्ष्य रखा। 30 अगस्त को दोनों ने शिनकान्सेन बुलेट ट्रेन में सेंडाई की यात्रा भी की, जो दोनों देशों के गहरे रिश्तों का प्रतीक थी। 

संयोग और चर्चा इशिबा का इस्तीफा उन विश्व नेताओं की सूची में शामिल हो गया, जिन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात के बाद अपने पद छोड़े। उदाहरण के लिए, यूके के बोरिस जॉनसन (2022), पाकिस्तान के इमरान खान (2022), और श्रीलंका के गोटाबाया राजपक्षे (2022) के इस्तीफे भी मोदी से मुलाकात के बाद हुए। सोशल मीडिया पर इसे "मोदी प्रभाव" कहकर मजाक किया जा रहा है, हालांकि यह स्पष्ट है कि ये इस्तीफे स्थानीय राजनीतिक संकटों का परिणाम हैं। 


आगे की राह इशिबा के इस्तीफे के बाद एलडीपी जल्द ही नया नेता चुनेगी, जो जापान की नीतियों और भारत सहित वैश्विक साझेदारियों को प्रभावित करेगा। भारत-जापान संबंध, जो रक्षा, अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित हैं, इस बदलाव के बाद भी मजबूत रहने की उम्मीद है। 

इशिबा का इस्तीफा जापान की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है। पीएम मोदी के साथ उनकी आखिरी मुलाकात ने भारत-जापान दोस्ती को रेखांकित किया, लेकिन यह संयोग वैश्विक मंच पर चर्चा का केंद्र बन गया। यह घटना भारत की बढ़ती कूटनीतिक भूमिका को उजागर करती है।