अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को एक महत्वपूर्ण बयान जारी करते हुए कहा कि वह पोलैंड और बाल्टिक देशों (एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया) की रूस के खिलाफ रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच यह घोषणा नाटो गठबंधन को मजबूत करने और पूर्वी यूरोप की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है। ट्रम्प ने अपने बयान में रूस और बाल्टिक देशों के बीच हालिया तनाव का जिक्र किया, जो यूक्रेन संकट के बाद और गहरा गया है। उन्होंने कहा, "हम पोलैंड और बाल्टिक देशों की रक्षा करेंगे।
रूस की आक्रामकता के खिलाफ हमारा संकल्प अटल है।" यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस ने हाल ही में पोलैंड पर ड्रोन हमलों की घटनाओं को लेकर धमकियां दी हैं, और बाल्टिक क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां बढ़ रही हैं। नाटो ने 2016 से बाल्टिक देशों और पोलैंड में 4,500 से अधिक सैनिक तैनात किए हैं, और 2022 के बाद चार नए बैटल ग्रुप जोड़े गए हैं, जो रूस के संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए हैं।
ट्रम्प का यह वादा उनके पहले कार्यकाल की याद दिलाता है, जब 2020 में उन्होंने जर्मनी से अमेरिकी सैनिकों को पोलैंड में स्थानांतरित करने की घोषणा की थी। उस समय उन्होंने कहा था कि जर्मनी में 52,000 सैनिकों को घटाकर 25,000 कर दिया जाएगा, और इनमें से कुछ पोलैंड भेजे जाएंगे, ताकि रूस को मजबूत संदेश मिले।
पोलैंड, जो नाटो का प्रमुख सदस्य है, ने हाल के वर्षों में अपनी सैन्य क्षमता को तेजी से बढ़ाया है। 2023 में पोलैंड ने अमेरिका से अब्राम्स टैंकों का दूसरा बैच खरीदा, जो रूस के कलिनिनग्राद क्षेत्र से सटी सीमा पर तैनात किए जाने हैं। इसके अलावा, पोलैंड 2026 तक 100,000 रिजर्व सैनिक तैयार करने की योजना बना रहा है। बाल्टिक देश भी अपनी सुरक्षा के लिए सक्रिय हैं।
लिथुआनिया ने 2025 में अपने जीडीपी का 5% रक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है, जबकि ये देश बंकर निर्माण और सैन्य अभ्यासों में जुटे हैं।
रूस के विदेशी खुफिया प्रमुख सर्गेई नारिश्किन ने अप्रैल 2025 में चेतावनी दी थी कि यदि नाटो ने रूस या बेलारूस पर हमला किया, तो सबसे पहले पोलैंड और बाल्टिक देश तबाह हो जाएंगे। इस बीच, पोलैंड ने रूस-बेलारूस सीमा पर 700 किलोमीटर लंबी किलेबंदी की योजना बनाई है, जिस पर 2.5 अरब डॉलर खर्च होंगे और जो 2028 तक पूरी हो जाएगी।
ट्रम्प के इस बयान से पूर्वी यूरोप में अमेरिकी समर्थन को नई गति मिल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल नाटो की एकजुटता को मजबूत करेगा, बल्कि रूस को उसके विस्तारवादी इरादों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर भी करेगा। हालांकि, रूस ने ऐसी किसी भी कार्रवाई को "उकसावे" के रूप में खारिज किया है। वैश्विक समुदाय की नजर अब इस क्षेत्र में होने वाली अगली घटनाओं पर टिकी है।
एस,बी,नायाणी
22/9/2025