नई दिल्ली, 16 सितंबर 2025: अंतरराष्ट्रीय तेल व्यापार में एक नया मोड़ आ गया है। अमेरिका, यूरोपीय संघ (ईयू) और ब्रिटेन द्वारा प्रतिबंधित रूसी क्रूड ऑयल से लदा एक जहाज, जो मूल रूप से गुजरात के मुंद्रा पोर्ट की ओर जा रहा था, अब रास्ता बदलकर वाडिनार पोर्ट की दिशा में बढ़ गया है। यह बदलाव अडानी ग्रुप के हालिया प्रतिबंध के कारण हुआ है, जिसमें कंपनी ने अपने सभी 14 पोर्ट्स पर ऐसे प्रतिबंधित जहाजों को प्रवेश करने से रोक लगा दी है। शिपिंग डेटा और ट्रैकिंग रिपोर्ट्स के अनुसार, 'नोबल वॉकर' नामक यह जहाज लगभग 10 लाख बैरल (एक मिलियन बैरल) रूसी क्रूड ऑयल लादे हुए है, जो भारतीय रिफाइनर एचपीसीएल मित्तल एनर्जी लिमिटेड (एचएमईएल) के लिए नियत है। यह जहाज शुक्रवार तक मुंद्रा की ओर जा रहा था, लेकिन अडानी के प्रतिबंध के बाद इसका कोर्स बदल दिया गया। वाडिनार पोर्ट, जो नायरा एनर्जी द्वारा संचालित है, अब इस कार्गो का वैकल्पिक गंतव्य बन गया है। अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने 11 सितंबर को एक आंतरिक आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यूएस ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (ओएफएसी), ईयू और यूके द्वारा प्रतिबंधित जहाजों को उनके पोर्ट्स पर डॉक करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कंपनी के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की कि यह कदम कंपनी के कानूनी और व्यावसायिक हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है। मुंद्रा पोर्ट, जो भारत के कुल क्रूड ऑयल आयात का लगभग 10 प्रतिशत संभालता है, रूस से आने वाले तेल के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार रहा है। यहां एचएमईएल और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) जैसे बड़े रिफाइनर्स का बड़ा हिस्सा निर्भर करता है। यह घटना रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों का प्रत्यक्ष प्रभाव दर्शाती है। रूस से तेल की आपूर्ति करने वाले अधिकांश जहाज 'शैडो फ्लीट' के तहत काम करते हैं, जो प्रतिबंधों से बचने के लिए गुमनाम तरीके से संचालित होते हैं। भारत, जो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, रूस से सस्ते क्रूड की खरीद जारी रखे हुए है। अगस्त 2025 में भारत ने रूस से औसतन 1.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल आयात किया, जो पिछले महीने के समान ही रहा। हालांकि, अमेरिकी दबाव बढ़ रहा है, जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन पर रूसी तेल खरीद के लिए 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की धमकी दी है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि भारत केवल संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का पालन करेगा, न कि किसी देश के एकतरफा प्रतिबंधों का। विशेषज्ञों का मानना है कि अडानी का यह फैसला रूसी तेल की आपूर्ति पर असर डाल सकता है, लेकिन भारतीय रिफाइनर्स अन्य पोर्ट्स या गैर-प्रतिबंधित जहाजों का उपयोग करके इसे संभाल लेंगे। केपलर के लीड रिसर्च एनालिस्ट सुमित रितोलिया ने कहा, "यह वैश्विक तेल बाजार में एक बड़ा विकास है, जो रूस से भारत आने वाले बैरल्स पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।" एक अन्य जहाज 'स्पार्टन' ने भी मुंद्रा के पास एंकर किया था, लेकिन ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक, इसने प्रतिबंध के बावजूद 10 लाख बैरल उरल्स क्रूड को मुंद्रा टर्मिनल पर डिस्चार्ज कर दिया। यह घटना दिखाती है कि प्रतिबंध लागू करने में कुछ चुनौतियां हैं, खासकर जब जहाज पहले से रास्ते में हों। भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है, क्योंकि मुंद्रा जैसे प्रमुख पोर्ट्स पर निर्भरता अधिक है। रिफाइनर्स को अब वैकल्पिक लॉजिस्टिक्स की तलाश करनी पड़ रही है, जिससे फ्रेट लागत में वृद्धि हो सकती है। फिर भी, भारत की ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों पर आधारित रहेगी, और रूस से सस्ता तेल आयात जारी रहेगा।
अडानी के प्रतिबंध से रूसी जहाज ने बदला रास्ता: मुंद्रा की बजाय वाडिनार पोर्ट की ओर बढ़ा एक मिलियन बैरल क्रूड ऑयल से भरा टैंकर