मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप में सैन्य आधारों और बुनियादी ढांचे के विस्तार को लेकर इज़राइल ने गंभीर चिंता जताई है। इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो से मुलाकात के दौरान काहिरा पर दबाव डालने का अनुरोध किया है, ताकि मिस्र इस प्रक्रिया को आगे न बढ़ाए। इज़राइली अधिकारियों का मानना है कि सिनाई में मिस्र की बढ़ती सैन्य उपस्थिति 1979 के शांति समझौते का उल्लंघन है, जो क्षेत्र में हल्के हथियारों तक सीमित सैन्य गतिविधियों की अनुमति देता है।
यह तनाव विशेष रूप से गाज़ा में चल रहे युद्ध के बीच उभर रहा है, जहां दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा के मुद्दे संवेदनशील हो चुके हैं। इज़राइली खुफिया एजेंसियों के अनुसार, मिस्र ने सिनाई में भूमिगत सुविधाएं बनाई हैं, जो मिसाइल भंडारण के लिए इस्तेमाल हो सकती हैं। इसके अलावा, हवाई अड्डों पर रनवे का विस्तार किया गया है, जिससे फाइटर जेट्स की तैनाती संभव हो गई है। एक वरिष्ठ इज़राइली अधिकारी ने कहा, "मिस्र जो कुछ सिनाई में कर रहा है, वह बहुत गंभीर है और तेल अवीव इसे लेकर गंभीर चिंता में है।" इज़राइल का कहना है कि मिस्र ने सीधे बातचीत में कोई प्रगति नहीं दिखाई, इसलिए अमेरिका को हस्तक्षेप करना चाहिए। अमेरिकी नेतृत्व वाली बहुराष्ट्रीय पर्यवेक्षक बल की उड़ानों में कमी ने भी निगरानी को कठिन बना दिया है। मिस्र की ओर से इन आरोपों का खंडन किया गया है। एक मिस्री अधिकारी ने कहा कि ये दावे निराधार हैं और अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में इस मुद्दे को नहीं उठाया। काहिरा का तर्क है कि सिनाई में सैन्य वृद्धि आतंकवाद विरोधी अभियानों और गाज़ा सीमा पर शरणार्थी संकट से निपटने के लिए आवश्यक है।
विशेषज्ञों के अनुसार, मिस्र को डर है कि इज़राइल गाज़ा से फिलिस्तीनियों को सिनाई में धकेल सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। 2021 में भी मिस्र ने रफाह सीमा पर अतिरिक्त बल तैनात किए थे, जिसकी इज़राइल ने अनुमति दी थी। यह विवाद 1979 के कैंप डेविड समझौते के तहत सिनाई के पूर्वी हिस्से को डीमिलिटराइज्ड जोन बनाने के प्रावधानों पर केंद्रित है। इज़राइल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज़ ने पहले भी मिस्र को चेतावनी दी थी कि शांति संधि का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव मिस्र-इज़राइल संबंधों को प्रभावित कर सकता है, हालांकि दोनों देशों ने अब तक द्विपक्षीय संवाद के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया है। अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वह शांति समझौते का संरक्षक है। सिनाई में मिस्र की सैन्य गतिविधियां न केवल इज़राइल के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र की स्थिरता को भी प्रभावित कर सकती हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग के बावजूद, गाज़ा युद्ध ने पुराने समझौतों पर नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।