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Saturday, 27 September 2025

उत्तराखंड में Gen Z का बेरोजगारी के खिलाफ 'युवा विद्रोह': लद्दाख की आग अब पहाड़ों में

उत्तराखंड में Gen Z का बेरोजगारी के खिलाफ 'युवा विद्रोह': लद्दाख की आग अब पहाड़ों में
         देहरादून/लेह, 28 सितंबर 2025

भारत के हिमालयी क्षेत्रों में युवाओं का आक्रोश अब चरम पर पहुंच चुका है। लद्दाख में राज्यhood की मांग और बेरोजगारी के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बाद, जहां चार युवाओं की जान चली गई, अब उत्तराखंड में Gen Z युवा सड़कों पर उतर आए हैं। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पेपर लीक कांड को लेकर सैकड़ों बेरोजगार युवा धरनों पर बैठे हैं, नौकरियों की मांग कर रहे हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। यह आंदोलन न केवल स्थानीय मुद्दों तक सीमित है, बल्कि पूरे देश में बढ़ति बेरोजगारी और सिस्टम की नाकामी के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह का रूप ले चुका है। 

 लद्दाख: जहां 'Gen Z क्रांति' ने ली चार जानें लद्दाख में यह सब 24 सितंबर को भड़का, जब युवाओं ने लेह में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यालय को आग लगा दी और पुलिस वाहनों पर हमला बोल दिया। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने इसे 'Gen Z रेवोल्यूशन' करार दिया, जो पांच साल से चली आ रही बेरोजगारी और संवैधानिक सुरक्षा (छठी अनुसूची) की मांग पर केंद्रित था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों को अनदेखा किया, जिससे युवाओं का धैर्य जवाब दे गया। चार युवाओं की मौत के बाद वांगचुक ने शांतिपूर्ण अनशन तोड़ा, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि 'शांतिपूर्ण विरोध अब काम नहीं आ रहा'। लेह में कर्फ्यू लगाना पड़ा और 60 से अधिक लोग घायल हुए। यह हिंसा नेपाल के हालिया Gen Z विद्रोह से प्रेरित लगती है, जहां युवाओं ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सरकार गिरा दी। लद्दाख के युवा, ज्यादातर 18-25 साल के, कहते हैं कि बेरोजगारी ने उनके सपनों को कुचल दिया है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम पांच साल से नौकरी के लिए भटक रहे हैं, लेकिन हर बार बहाने बनाए जाते हैं। अब पर्याप्त है।" यह आंदोलन लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) की युवा इकाई ने शुरू किया, जो 10 सितंबर से 35 दिनों के अनशन के बाद भड़का। केंद्र सरकार ने इसे 'राजनीतिक साजिश' बताया, लेकिन वास्तव में यह युवाओं की हताशा का प्रतीक है। 

 उत्तराखंड: पेपर लीक से भड़का Gen Z का गुस्सा अब उत्तराखंड में वैसा ही तूफान आ गया है। UKSSSC के पटवारी भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद सैकड़ों युवा देहरादून की सड़कों पर उतर आए। वे परीक्षा रद्द करने, नौकरी की गारंटी और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की मांग कर रहे हैं। एक युवती का वीडियो वायरल हो गया, जिसमें वह चिल्ला रही है, "नेपाल जैसी हालत हो जाएगी, हेलिकॉप्टर भी नहीं आएंगे नेताओं के लेने।" यह बयान सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया, जिसने आंदोलन को नई गति दी। प्रदर्शनकारी, ज्यादातर Gen Z (1997-2012 के बीच जन्मे, 13-28 साल के), नकल-चीटिंग, बेरोजगारी और पेपर लीक गिरोहों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। एक पोस्ट में लिखा गया, "यह सिर्फ परीक्षा का सवाल नहीं, हमारे भविष्य की लड़ाई है। 

#WakeUpGenZ"।

 उत्तराखंड में बेरोजगारी दर 20% से ऊपर है, और युवा रोजगार के अभाव में पलायन को मजबूर हैं। आंदोलन ने नेपाल और बांग्लादेश के युवा विद्रोहों से तुलना खींच ली है, जहां Gen Z ने सत्ता हिला दी। यहां भी युवा कह रहे हैं, "हम चुप नहीं बैठेंगे।" 

 Gen Z का बढ़ता आक्रोश: क्यों है यह 'युवा विद्रोह'? Gen Z को डिजिटल पीढ़ी कहा जाता है, जो इंटरनेट और सोशल मीडिया पर पली-बढ़ी है। नेपाल में सोशल मीडिया बैन ने 19 मौतें कराईं और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। लद्दाख और उत्तराखंड में भी यही पैटर्न दिख रहा: भ्रष्टाचार, बेरोजगारी (15-24 साल के युवाओं में 20.8%) और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले। विशेषज्ञ कहते हैं, यह पीढ़ी पुरानी पीढ़ियों से अलग है—वह टेक-सेवी है, संगठित है और अन्याय बर्दाश्त नहीं करती। उत्तराखंड में एक युवा नेता ने कहा, "लद्दाख की आग अब यहां पहुंच गई। हम राज्य सरकार से बातचीत चाहते हैं, लेकिन अगर मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन फैलेगा।" केंद्र ने लद्दाख के लिए हाई-पावर्ड कमिटी बनाई, लेकिन बातें मार्च 2024 में टूट गईं। उत्तराखंड में भी युवा शांतिपूर्ण धरनों से आगे बढ़ने को तैयार हैं। 

क्या होगा आगे? युवाओं की मांगें और चुनौतियां युवा चार मुख्य मांगें कर रहे हैं: -

नौकरियां और बेरोजगारी पर नियंत्रण

स्थायी रोजगार और कौशल विकास। -

पेपर लीक पर सख्ती: परीक्षाएं रद्द और गिरोहों पर कार्रवाई। 

भ्रष्टाचार मुक्त सिस्टम

 पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया। सरकार ने अपील की है कि शांतिपूर्ण रहें, लेकिन युवाओं का कहना है कि "शांतिपूर्ण विरोध विफल हो चुका।" यदि यह आंदोलन पूरे देश में फैला, तो यह नेपाल जैसी क्रांति का रूप ले सकता है। फिलहाल, दोनों राज्यों में तनाव बरकरार है, और Gen Z साबित कर रहा है कि वह बदलाव का इंजन है। यह आंदोलन न केवल स्थानीय है, बल्कि पूरे भारत के युवाओं के लिए एक संदेश है: जागो, लड़ो, जीतो। क्या सरकार सुनेगी, या आग और भड़केगी? समय ही बताएगा।