Breaking

यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Friday, 24 October 2025

बीजेपी राज में दलित होना अपराध? मंदिर में पासी बुजुर्ग से चटवाई पेशाब, इंसानियत शर्मसार – क्या हम 21वीं सदी में जी रहे हैं?

बीजेपी राज में दलित होना अपराध? मंदिर में पासी बुजुर्ग से चटवाई पेशाब, इंसानियत शर्मसार – क्या हम 21वीं सदी में जी रहे हैं?
                     इन्सानियत शर्म सार 
लखनऊ, 22 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी में एक ऐसी घटना घटी है, जो न केवल मानवता को शर्मसार करती है, बल्कि भारतीय समाज की गहरी जड़ों में बसी जातिवादी मानसिकता को भी उजागर कर देती है। काकोरी थाना क्षेत्र के शीतला माता मंदिर परिसर में बीमार दलित बुजुर्ग रामपाल (65 वर्षीय, पासी समाज) के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया।

 बीमारी के कारण अनजाने में पेशाब छूट जाने पर स्थानीय दबंग स्वामीकांत उर्फ पम्मू ने उनसे पेशाब चटवाया, जातिसूचक गालियां दीं और लातें मारीं। यह घटना सोमवार रात की है, लेकिन इसके बाद सियासत गर्मा गई है। विपक्षी दल इसे 'बीजेपी राज में दलितों का अपमान' बता रहे हैं, जबकि पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। 

रामपाल, जो सांस की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, मंदिर परिसर में आराम कर रहे थे। अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और पेशाब हो गया। पास से गुजर रहे स्वामीकांत ने इस पर भड़क गए। उन्होंने बुजुर्ग को पकड़ लिया और जबरन जमीन पर झुकाकर पेशाब चटवाने पर मजबूर किया। न केवल इतना, बल्कि उन्होंने रामपाल को मंदिर के फर्श को पोछने के लिए भी बाध्य किया। पीड़ित बुजुर्ग के पोते मुकेश ने बताया, "मेरे दादाजी बीमार हैं, उन्हें ऐसी हालत में जानवरों जैसा बर्ताव किया गया। यह सिर्फ एक गलती थी, लेकिन जाति के नाम पर अपराध बना दिया।" 

रामपाल ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई, जिसमें एससी-एसटी एक्ट, अपमान और मारपीट की धाराओं का उल्लेख है। इस घटना ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। 
सौजन्य मिल्लत टाइम्स 
आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया पर तीखा प्रहार किया: "जाति पूछी-धर्म नहीं। बीजेपी राज में दलित होना अपराध है। पासी समाज के बुजुर्ग से मंदिर में पेशाब चटवाई गई। इंसान के साथ जानवर जैसा व्यवहार – क्या हम 21वीं सदी में जी रहे हैं?" भीम आर्मी के नेता और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इसे 'दलित विरोधी मानसिकता का नंगा प्रदर्शन' बताया। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी जातिवादी और सामंती सोच का परिणाम है। सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।" समाजवादी पार्टी (SP) के नेता अखिलेश यादव ने भी पीड़ित परिवार से मुलाकात की और कहा, "किसी की भूल का मतलब अमानवीय सजा देना नहीं। यह नए भारत की शर्मनाक तस्वीर है।" बसपा ने आंदोलन की धमकी दी है, जबकि AIMIM और कांग्रेस ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है। उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लिया है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी स्वामीकांत को गिरफ्तार कर लिया। 

काकोरी थाने के SHO ने बताया कि जांच जारी है और वीडियो सबूत भी मिले हैं। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी जिक्र है कि आरोपी मंदिर समिति से जुड़े हैं और RSS से संबंध रखते हैं, हालांकि पुलिस इसकी पुष्टि नहीं कर रही। विपक्ष का आरोप है कि ऐसी घटनाएं यूपी में बढ़ रही हैं, जहां दलितों के खिलाफ हिंसा को राजनीतिक संरक्षण मिलता है। यह घटना दलित समुदाय में आक्रोश पैदा कर रही है। पासी समाज के संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर ऐसी घटना होना सामाजिक सद्भाव को चोट पहुंचाती है। 

रामपाल जैसे बुजुर्ग, जो जीवनभर मेहनत करके समाज को देते हैं, उनके साथ ऐसा बर्ताव न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि नैतिक पतन का प्रतीक भी। सवाल वही है – क्या आधुनिक भारत में जातिवाद की ऐसी जड़ें अभी भी कायम हैं? सरकार को न केवल आरोपी को सजा देनी चाहिए, बल्कि ऐसी मानसिकता को जड़ से उखाड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा।