Breaking

यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Friday, 10 October 2025

ट्रंप का नोबेल सपना चूर: 'खट्टे अंगूर' की तरह साबित हुआ पुरस्कार, दुनिया भर में उछल-कूद के बावजूद हाथ खाली

ट्रंप का नोबेल सपना चूर: 'खट्टे अंगूर' की तरह साबित हुआ पुरस्कार, दुनिया भर में उछल-कूद के बावजूद हाथ खाली
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नोबेल शांति पुरस्कार जीतने का सपना फिर एक बार अधूरा रह गया। 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को हुई, जिसमें वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो को चुना गया। ट्रंप के समर्थकों ने इसे "राजनीतिक साजिश" करार दिया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप को पुरस्कार मिलने की संभावना कभी कम ही थी। दुनिया भर में ट्रंप की "शांति पहल" की तारीफ करने वाले नामांकन के बावजूद, नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी ने उनका नाम शॉर्टलिस्ट में तक जगह नहीं दी। 

 ट्रंप की उम्मीदें और नामांकन का शोर ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही नोबेल पुरस्कार पर दावा ठोकना शुरू कर दिया था। उन्होंने अब्राहम समझौते, कोरिया के बीच शांति वार्ता और हाल की गाजा युद्ध विराम जैसी पहलों का हवाला देते हुए कहा था, "मैं नोबेल का हकदार हूं।" उनके समर्थक भी चुप न रहे। न्यूयॉर्क की रिपब्लिकन सांसद क्लाउडिया टेनी ने 2024 में अब्राहम समझौते के लिए ट्रंप को नामित किया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जुलाई में व्हाइट हाउस दौरे के दौरान ट्रंप को नामित करने की घोषणा की। कंबोडिया, पाकिस्तान और अन्य देशों के नेता भी ट्रंप की तारीफ में नामांकन भेजने की बात कही। फ्लोरिडा के सीनेटर रिक स्कॉट, मार्को रुबियो और अन्य रिपब्लिकनों ने भी पत्र लिखकर नोबेल कमिटी से ट्रंप को पुरस्कार देने की अपील की। यहां तक कि फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बोरला ने भी ट्रंप को पुरस्कार का हकदार बताया। लेकिन नामांकन की समय सीमा 31 जनवरी 2025 थी, और कई नामांकन इसके बाद आए, जो 2026 के लिए मान्य होंगे। कुल 338 नामांकन थे—244 व्यक्ति और 94 संगठन—लेकिन ट्रंप का नाम विजेता सूची में नजर नहीं आया। 

 विनर माचाडो का ट्रंप को धन्यवाद, लेकिन व्हाइट हाउस का गुस्सा पुरस्कार विजेता मारिया कोरिना माचाडो ने घोषणा के बाद अपनी प्रतिक्रिया में ट्रंप को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "मैं वेनेजुएला के पीड़ित लोगों और राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित करती हूं, जिन्होंने हमारी वजह का निर्णायक समर्थन किया।" माचाडो को वेनेजुएला में लोकतंत्र की रक्षा और तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए सम्मानित किया गया। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनने से रोका गया था, और निकोलस मादुरो ने विवादित तरीके से जीत का दावा किया। हालांकि, व्हाइट हाउस ने फैसले पर तीखा हमला बोला। कम्युनिकेशन डायरेक्टर स्टीवन चेउंग ने कहा, "नोबेल कमिटी ने साबित कर दिया कि वे शांति से ज्यादा राजनीति को प्राथमिकता देते हैं।" ट्रंप प्रशासन ने इसे "अन्यायपूर्ण" बताते हुए कहा कि ट्रंप ने आठ युद्धों में शांति स्थापित की। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम जैसे भारतीय नेता ने भी ट्वीट कर ट्रंप समर्थकों की आलोचना की। 

विशेषज्ञों का मत: ट्रंप को पुरस्कार मिलना मुश्किल क्यों? नोबेल विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप को पुरस्कार मिलने की संभावना कभी "शून्य" के करीब थी। नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी के चेयर जॉर्गन वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि फैसला अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा और कार्य पर आधारित होता है। कमिटी के पांच सदस्य—ग्रि लार्सेन, एनी एंगर, क्रिस्टिन क्लेमेट और आसले टोजे—2024-2029 के लिए नियुक्त हैं, और वे गोपनीयता बनाए रखते हैं। ट्रंप का पहला कार्यकाल में भी 2018 और 2020 में नामांकन हुआ था, लेकिन पुरस्कार नहीं मिला। विशेषज्ञों ने कहा कि ट्रंप की "शांति पहल" जैसे अब्राहम समझौते महत्वपूर्ण हैं, लेकिन गाजा संघर्ष और अन्य विवादों ने उनकी छवि को प्रभावित किया। इसके अलावा, नामांकन गोपनीय रहते हैं, और सार्वजनिक शोर पुरस्कार नहीं दिला सकता। सोशल मीडिया पर #TrumpNobelSnub और #SourGrapes ट्रेंड कर रहे हैं, जहां यूजर्स ट्रंप की हताशा पर मीम्स शेयर कर हंस रहे हैं। 

दुनिया भर में हास्य और आलोचना का दौर ट्रंप का पुरस्कार न मिलना दुनिया भर में हास्यास्पद बन गया। अमेरिकी कॉमेडियन जॉन ओलिवर ने शो में कहा, "ट्रंप को नोबेल मिलना वैसा ही है जैसे फास्ट फूड चेन को हेल्दी ईटिंग अवॉर्ड।" ट्विटर पर मीम्स वायरल हैं, जहां ट्रंप को "खट्टे अंगूर" चबाते दिखाया जा रहा है। भारत में भी सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे "ट्रंप का सबसे बड़ा झटका" कहा। लेकिन ट्रंप के समर्थक इसे "वामपंथी साजिश" बता रहे हैं। यह घटना न केवल ट्रंप की महत्वाकांक्षा को उजागर करती है, बल्कि नोबेल पुरस्कार की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाती है। भविष्य में ट्रंप 2026 के लिए कोशिश करेंगे, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह सपना फिर "खट्टा" ही साबित होगा।