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Tuesday, 14 October 2025

ट्रंप को ईरान का करारा जवाब: 'शांति के राष्ट्रपति या युद्ध के—दोनों ऐक साथ नहीं हो सकते', अराघची ने इसराइल को 'मध्य पूर्व का धमकाने वाला' बताया

ट्रंप को ईरान का करारा जवाब: 'शांति के राष्ट्रपति या युद्ध के—दोनों ऐक साथ नहीं हो सकते', अराघची ने इसराइल को 'मध्य पूर्व का धमकाने वाला' बताया
तेहरान: गाजा युद्धविराम समझौते के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इसराइल दौरे और संसद में दिए गए भाषण पर ईरान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने सोमवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर ट्रंप को आड़े हाथों लिया, उन्हें 'शांति का राष्ट्रपति' बताने पर कटाक्ष किया। अराघची ने लिखा, "ट्रंप या तो शांति के राष्ट्रपति हो सकते हैं या युद्ध के, दोनों एक साथ नहीं।" उन्होंने ट्रंप के ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दिए बयान को 'बड़ा झूठ' करार देते हुए इसराइल को मध्य पूर्व का 'धमकाने वाला' और अमेरिका को 'फायदा उठाने वाला' बताया। यह बयान हमास-इसराइल युद्धविराम के बाद बंधकों और कैदियों की अदला-बदली के मौके पर आया है, जब क्षेत्रीय शांति की उम्मीदें बढ़ रही हैं। 

 घटना का पूरा विवरण: ट्रंप का भाषण और ईरान का तेवर ट्रंप रविवार को इसराइल पहुंचे, जहां इसराइली संसद (कनेसेट) में उन्हें सम्मानित किया गया। लगभग एक घंटे के भाषण में ट्रंप ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को 'हथियार बनाने के कगार पर' बताया और कहा कि इसराइल के साथ सामान्यीकरण में ईरान को 'बहाना' न बनाया जाए। उन्होंने खुद को 'शांति का राष्ट्रपति' बताते हुए गाजा युद्धविराम का श्रेय लिया और ईरान से 'सुलह' की पेशकश की। लेकिन सोमवार को शर्म अल-शेख (मिस्र) में 20 देशों के नेताओं वाले शिखर सम्मेलन में ईरान ने भाग नहीं लिया। अराघची ने एक्स पर लिखा, "अब पूरी तरह साफ हो चुका है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को यह झूठी जानकारी दी गई कि ईरान का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम इसी वसंत तक हथियार बनाने के कगार पर था। यह एक बड़ा झूठ है और उन्हें बताया जाना चाहिए था कि इसका कोई सबूत नहीं है। उनकी अपनी खुफिया एजेंसियों ने भी पुष्टि की है।" अराघची ने आगे कहा, "ईरान की जनता उस सुलह की पेशकश पर कैसे भरोसा करे, जो वही लोग बढ़ा रहे हैं जिन्होंने चार महीने पहले ही ईरान पर बमबारी की थी।" उन्होंने इसराइल पर अमेरिका को 'धमकाने' और 'फायदा उठाने' का आरोप लगाया, जबकि ट्रंप के भाषण को 'युद्ध अपराधियों का साथ' देने वाला बताया। ईरानी विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर कहा कि ट्रंप का संवाद का दावा वॉशिंगटन की ईरान और फिलिस्तीन के खिलाफ आक्रामकता से मेल नहीं खाता। 

समझौते का बैकग्राउंड: शर्म अल-शेख सम्मेलन और अनुपस्थितियां हमास और इसराइल के बीच युद्धविराम समझौते पर अंतिम हस्ताक्षर मिस्र के शर्म अल-शेख में हुए, जहां अमेरिका, यूरोपीय संघ, सऊदी अरब समेत 20 देशों के नेता जुटे। इस समझौते के तहत सोमवार को बंधकों और कैदियों की अदला-बदली शुरू हुई, जो गाजा संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, ईरान ने इसमें हिस्सा नहीं लिया, जबकि इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी अनुपस्थित रहे। ट्रंप ने सम्मेलन से पहले इसराइल जाकर भाषण दिया, जो क्षेत्रीय तनाव को और भड़ाने वाला साबित हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयानबाजी ईरान-अमेरिका संबंधों को और जटिल बनाएगी। 

 ईरान-अमेरिका तनाव: परमाणु झूठ से लेकर युद्ध की धमकी अराघची का बयान ट्रंप की 'मैक्सिमम प्रेशर' नीति के संदर्भ में आया है, जो ईरान के तेल निर्यात को शून्य करने का प्रयास कर रही है। ईरान ने ट्रंप के परमाणु दावों को खारिज करते हुए कहा कि यह 'इसराइली धोखे' का नतीजा है। अराघची ने जोर देकर कहा कि ईरान हथियारों का विरोधी है, लेकिन अमेरिकी हमलों के बाद संवाद मुश्किल है। इससे पहले फरवरी 2025 में अराघची ने ट्रंप के परमाणु चिंताओं को 'समाधान योग्य' बताया था, लेकिन अब टोन सख्त हो गया है। ईरान ने कहा कि इसराइल क्षेत्र का असली खतरा है, जो गाजा में हमलों से साबित होता है। 

 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: चिंता और मध्यस्थता की अपील ट्रंप के भाषण और अराघची के जवाब पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र ने 'संवाद' की अपील की, जबकि यूरोपीय संघ ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर 'सबूत-आधारित' चर्चा की मांग की। रूस और चीन ने ईरान का समर्थन किया, जबकि सऊदी अरब ने क्षेत्रीय शांति के लिए ट्रंप से 'सतर्कता' बरतने को कहा। सोशल मीडिया पर #TrumpVsIran ट्रेंड कर रहा है, जहां यूजर्स अराघची के बयान को 'साहसी' बता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तनाव गाजा युद्धविराम को प्रभावित कर सकता है। अधिक अपडेट्स के लिए बने रहें।