विश्लेषणात्मक पोर्टल मिडल ईस्ट मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार ईरान और सऊदी अरब साझा आर्थिक और सुरक्षा आधार बनाकर न केवल अपने हितों को बढ़ा सकते हैं बल्कि पश्चिम एशिया में स्थिरता और शांति भी मजबूत कर सकते हैं।
साझा आर्थिक और सुरक्षा ढांचा:
ईरान एक बड़ा क्षेत्रीय देश और सऊदी अरब अपनी व्यापक आर्थिक विविधता योजनाओं के साथ अपनी विशाल संसाधनों का उपयोग एक साझा आर्थिक और सुरक्षा आधार बनाने के लिए कर सकते हैं। यह मॉडल अन्य क्षेत्रीय देशों और इस्लामी संस्थाओं के लिए भी लागू किया जा सकता है।ऊर्जा और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा:
वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में बदलाव और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा को देखते हुए तेहरान और रियाज़ के बिना सहयोग पश्चिम एशिया में संघर्ष जारी रह सकता है जिससे अवसर खो सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ सकते हैं।
तीन स्तरों पर सहयोग:
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ईरान और सऊदी अरब अपना सहयोग दो-पक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय स्तर पर व्यवस्थित करें। इसके तहत साझा आर्थिक, सुरक्षा और सामाजिक संस्थाएँ बनाई जाएँ और प्रॉक्सी युद्धों और तकनीकी खतरों का प्रबंधन सुदृढ़ किया जाए।
विशेष उपाय:
क्षेत्रीय सूचना आदान-प्रदान नेटवर्कपारदर्शी रक्षा समझौते57 मुस्लिम देशों के बीच साझा आर्थिक ढांचासामाजिक और धार्मिक सलाहकार निकाय
राजनीतिक और नैतिक प्रतिबद्धता:
केवल व्यापक राजनीतिक और नैतिक प्रतिबद्धता से ही संघर्ष को कम किया जा सकता है और आर्थिक, सुरक्षा और सामाजिक अवसरों का लाभ जनता और क्षेत्र के लिए उठाया जा सकता है।
रिपोर्ट ने चीन द्वारा ईरान और सऊदी अरब के रिश्तों को फिर से शुरू करने में मध्यस्थता का जिक्र करते हुए इसे ऐतिहासिक और अभूतपूर्व अवसर बताया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेहरान और रियाध के संबंधों की बहाली क्षेत्रीय संवाद के मार्ग को बदल सकती है, तनाव कम कर सकती है, आपसी विश्वास बढ़ा सकती है और आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग का आधार तैयार कर सकती है। mm