दार अस सलाम, 31 अक्टूबर 2025: तंज़ानिया के विवादास्पद राष्ट्रपति चुनावों के बाद भड़की हिंसा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। विपक्षी दल चाडेमा के अनुसार, दार अस सलाम और म्वांजा सहित अन्य शहरों में तीन दिनों में लगभग 700 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने कम से कम 10 मौतों की पुष्टि की है। सुरक्षा बलों पर लाइव गोलियां चलाने और अत्यधिक बल प्रयोग का आरोप लगाया जा रहा है, जिससे आर्थिक असंतोष और राजनीतिक दमन के खिलाफ गुस्सा भड़क गया। मंगलवार को हुए चुनावों में राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन की सत्ताधारी चामा चा मापिंडुजी (सीसीएम) पार्टी को भारी बहुमत मिलने की उम्मीद है, लेकिन विपक्ष के दो प्रमुख उम्मीदवारों को जेल या अयोग्य घोषित कर दिए जाने से चुनाव को 'ताजपोशी' करार दिया गया। दार अस सलाम के एम्बागाला, गोंगो ला एम्बोटो और किलुव्या इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों को आग लगा दी, पुलिस वाहनों पर पथराव किया। इंटरनेट ब्लैकआउट और कर्फ्यू लगाने से सूचना का प्रवाह बाधित हो गया, लेकिन वॉकी-टॉकी ऐप जैसे माध्यमों से युवा संगठित हो रहे हैं। विपक्षी प्रवक्ता जॉन किटोका ने एएफपी को बताया, "दार अस सलाम में 350 और म्वांजा में 200 से अधिक मौतें हुई हैं।" एक राजनयिक स्रोत ने बीबीसी को 500 मौतों की पुष्टि की, जबकि विदेश मंत्री महमूद थाबित कोम्बो ने 'अत्यधिक बल' से इनकार किया। सेना प्रमुख जैकब मकुंडा ने प्रदर्शनकारियों को 'अपराधी' बताते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी।
युवा बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध ने आग में घी डाला। दार अस सलाम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान लेक्चरर रिचर्ड एम्बुंडा के अनुसार, कुछ प्रदर्शनकारी सेना से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। मोरक्को और मादागास्कर जैसे पड़ोसी देशों में हुई अशांति से तुलना हो रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त ने 'चुनाव-संबंधी हिंसा' पर चिंता जताई, जबकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इंटरनेट बहाली की मांग की। हसन, जो 2021 में पूर्व राष्ट्रपति जॉन मागुफुली की मृत्यु के बाद सत्ता में आईं, ने सुधारों का वादा किया था, लेकिन विपक्ष का दमन बढ़ा। अब सवाल है कि क्या यह संकट लोकतंत्र को मजबूत करेगा या और गहरा दमन लाएगा? देश की स्थिरता दांव पर है, और वैश्विक निगाहें तंज़ानिया पर टिकी हैं।