महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना ने अपनी दूसरी लिस्ट जारी की तो एक नाम ने सबका ध्यान खींचा.
इस लिस्ट में शिवसेना ने अपने राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है.
वर्ली अब हाई प्रोफाइल सीट बन चुकी है क्योंकि मिलिंद के सामने वर्ली से वर्तमान विधायक आदित्य ठाकरे की चुनौती है.
इस सीट पर तीन ''सेनाएं''- शिवसेना, शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना आमने-सामने हैं.
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने यहां से संदीप देशपांडे को टिकट दिया है.
वर्ली से टिकट मिलने के बाद मिलिंद देवड़ा ने अपनी पार्टी शिवसेना को धन्यवाद दिया और वर्ली के हर निवासी की आवाज़ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक पहुंचाने की बात कही है.
वहीं, आधिकारिक घोषणा के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि मिलिंद देवड़ा वर्ली सीट पर अपनी ज़मानत नहीं बचा पाएंगे.
महायुति गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता शाइना एनसी भी वर्ली से टिकट के लिए दावेदारी कर रही थीं लेकिन मिलिंद की उम्मीदवारी के बाद शाइना एनसी ने उनका समर्थन किया है.
आदित्य ठाकरे ने साल 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ा था और यह पहला मौक़ा था जब ठाकरे परिवार के किसी सदस्य ने चुनाव लड़ा हो.
मुंबई में जन्मे मिलिंद देवड़ा जाने-माने कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा के बेटे हैं और 2004 में पहली बार 27 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट से चुनाव जीता था.
मिलिंद ने इस सीट से दो बार की सांसद और बीजेपी नेता जयंतिबेन मेहता को हराया था.
2009 के लोकसभा चुनाव में भी मिलिंद जीते और यूपीए-2 सरकार में राज्यमंत्री बनाए गए.
मिलिंद जब मंत्री बने थे तब उनकी उम्र 34 साल थी और वो तत्कालीन केंद्र सरकार के युवा चेहरों में से एक थे.
आदित्य ठाकरे की कहानी भी मिलिंद देवड़ा से मिलती-जुलती है. जन्म, मशहूर ठाकरे परिवार में हुआ तो राजनीति विरासत में मिल गई.
2019 के विधानसभा चुनाव में 29 साल की उम्र में पहली बार चुनाव लड़ा और मुंबई दक्षिण की वर्ली सीट से चुनाव जीतकर महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बने.
वर्ली सीट, मुंबई दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में आती है और मिलिंद यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं.
वहीं आदित्य ठाकरे पिछले पांच से यहां विधानसभा प्रतिनिधि हैं. ऐसे में वर्ली के मतदाता का झुकाव किस ओर होगा?
वरिष्ठ पत्रकार और महाराष्ट्र की राजनीति पर पकड़ रखने वाले अनुराग चतुर्वेदी इस सवाल के जवाब में कहते हैं, "बीजेपी से वर्ली सीट पर बीजेपी प्रवक्ता शाइना एनसी के नाम की चर्चा थी. शाइना के नाम पर अंतिम मुहर इसलिए नहीं लग पाई क्योंकि उनकी उम्मीदवारी से ऐसा लग रहा था कि महायुति गठबंधन की तरफ़ से आदित्य ठाकरे को वॉकओवर मिल रहा है. लेकिन मिलिंद के आने से लड़ाई दिलचस्प ज़रूर हुई है."
अनुराग चतुर्वेदी का मानना है कि पिछले पांच साल में आदित्य वर्ली में सक्रिय हैं और इसलिए उनका पलड़ा भारी दिखाई देता है.
मिलिंद देवड़ा अभी राज्यसभा सांसद हैं और शिवसेना ने उन्हें आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ चुनावी मैदान में उतारा है.
वर्ली में मराठी वोटरों की संख्या अच्छी-खासी है और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने पार्टी महासचिव और प्रवक्ता संदीप देशपांडे को टिकट दिया है. संदीप देशपांडे दादर इलाक़े से पार्षद रह चुके हैं और पिछले एक साल से भी ज़्यादा समय से वर्ली में सक्रिय हैं.
क्या संदीप देशपांडे के आने से लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है?
विनया देशपांडे का कहना है, "इस विधानसभा सीट पर एमएनएस ने अभी तक अपने आप को साबित नहीं किया है. एक पक्ष यह भी है कि राज ठाकरे की पार्टी वोट काट सकती है क्योंकि यहां मराठी वोट बैंक काफ़ी ज़्यादा है. लेकिन त्रिकोणीय मुक़ाबला कहना अभी अतिशयोक्ति होगी."
मनसे ने आख़िरी बार 2014 में इस सीट से उम्मीदवार उतारा था तब उन्हें सिर्फ़ 5.68 फ़ीसदी वोट ही मिले थे. 2019 में राज ठाकरे ने आदित्य ठाकरे का समर्थन किया था और इस सीट पर मनसे का उम्मीदवार नहीं उतारा था.