Tuesday, 13 May 2025

"सीरिया में अलवी महिलाओं का व्यवस्थित अपहरण, जूलानी की सरकार के झंडे तले दाइश के अपराधों की पुनरावृत्ति

"सीरिया में अलवी महिलाओं का व्यवस्थित अपहरण, जूलानी की सरकार के झंडे तले दाइश के अपराधों की पुनरावृत्ति
पिछले दिसंबर महीने में सीरिया पर तहरीर अल-शाम के नेता अबू मोहम्मद अल-जूलानी के नियंत्रण के बाद से इस गुट से जुड़े सशस्त्र गुटों द्वारा मुख्यतः अलवी समुदाय की दर्जनों युवा महिलाओं के अपहरण की भयावह रिपोर्टें सामने आई हैं।

आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, दिसंबर के महीने से जब तहरीर अल-शाम का, जो अल-क़ायदा से अलग हुआ एक आतंकी गुट है, नेतृत्व जूलानी के हाथों में आया तब से सीरिया में अलवी युवतियों के रहस्यमय और ख़ौफ़नाक अपहरणों की लहर देखी गई है।

पार्स टुडे ने The Cradle के हवाले से बताया है कि स्थानीय कार्यकर्ताओं के अनुसार इन महिलाओं को सीरिया के इदलिब प्रांत, जो तहरीर अल-शाम का पारंपरिक गढ़ है, में "जबरन विवाहों" के नाम पर यौन दासता में धकेला जा रहा है।

एक जानी-पहचानी साज़िश: सिंजार से इदलिब तक

यह परिदृश्य वर्ष 2014 में इराक़ में यज़ीदी महिलाओं के ख़िलाफ़ ISIS द्वारा किए गए अपराधों की याद दिलाता है, जहाँ उन्हें "जिहाद-ए-निकाह" के नाम पर यौन दासता में धकेल दिया गया था। अब ऐसा प्रतीत होता है कि तहरीर अल-शाम, उसी वैचारिक मॉडल का अनुसरण करते हुए अलवी महिलाओं को निशाना बना रहा है।

इदलिब से गढ़ एक गवाही

हिबा एज्ज़ुद्दीन (Hiba Ezzedeen) इदलिब में रहने वाली एक सीरियाई सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने फेसबुक पोस्ट (जो अब हटा दिया गया है) में उस महिला के साथ हुई मुलाकात का ज़िक्र किया, जो उसके अनुसार, 7 मार्च को अल-जूलानी के शासन से जुड़े गुटों द्वारा सीरिया के तटीय इलाक़ों में किए गए नरसंहारों के दौरान गिरफ्तार की गई थी और इदलिब लाकर यौन दासी बना दी गई थी।

हिबा ने इस विषय में कहा: "मैंने उस महिला को एक ऐसे पुरुष के साथ देखा, जो पहले कई बार शादी कर चुका था और ऐसा माना जाता है कि इस समय उसकी तीन पत्नियाँ हैं। जिस चीज़ ने मेरा ध्यान खींचा, वह उस महिला का हुलिया था विशेष रूप से यह साफ़ दिख रहा था कि वह यह नहीं जानती कि हिजाब को ठीक से कैसे पहना जाता है; उसकी रुसरी भी अस्त-व्यस्त तरीके से लटक रही थी।"

हिबा एज्ज़ुद्दीन के अनुसार उसने कई बार पूछताछ के बाद यह पता लगाया कि वह महिला सीरिया के तटीय क्षेत्रों की रहने वाली है वहीं पर 7 मार्च को भीषण नरसंहार हुआ था, जिसमें 1600 से अधिक अलवी नागरिक मारे गए थे।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ और ख़तरनाक चुप्पी

हालाँकि सीरिया में महिलाओं के अपहरण के कई मामलों को मानवाधिकार संगठनों द्वारा प्रकाशित किया गया है, लेकिन अब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी हालिया रिपोर्ट में सीरिया में "सांप्रदायिक हिंसा" का ज़िक्र तो किया, लेकिन उसने तहरीर अल-शाम का नाम तक नहीं लिया।

कुछ मामले इस प्रकार हैं:

"कारोलिस नहले" (द्रूज़ी, 2 फ़रवरी): दमिश्क से अपहरण, फिरौती की कोई माँग नहीं की गई।

"बुशरा यासीन मफ़रज" (अलवी, 21 मार्च): दो बच्चों की माँ, जिनके पति ने इदलिब से उसकी क़ैद का वीडियो जारी किया।

"नूर कमाल ख़दर" 26 वर्षीय और उसकी दो बेटियाँ (उम्र 3 और 5 साल, 21 अप्रैल): हुम्स में नक़ाबपोश तहरीर अल-शाम से जुड़े लोगों द्वारा अगवा की गईं।

लेबनानी मीडिया Al-Daraj ने 17 अप्रैल तक अलवी महिलाओं के कम से कम 10 अपहरण मामलों की पुष्टि की है जिनमें सभी महिलाएं सीरिया के तटीय इलाक़ों से थीं।

Al-Daraj ने एक 18 वर्षीय युवती के केस का भी दस्तावेज़ीकरण किया, जिसे दिनदहाड़े सीरिया के एक तटीय शहर के बाहरी इलाके से अगवा कर लिया गया था।

उसके परिवार को बाद में एक धमकी भरा मैसेज मिला, जिसमें कहा गया था कि अगर उन्होंने इस बारे में कुछ कहा, तो उन्हें लड़की की लाश वापस भेजी जाएगी। बाद में, उस युवती ने आईवरी कोस्ट से भेजे गए एक नंबर से एक ऑडियो फाइल के ज़रिए अपने परिवार को बताया कि वह ठीक है, लेकिन उसे नहीं पता कि उसे कहाँ ले जाया गया है।

इस लेबनानी मीडिया ने इन मामलों की तुलना 2014 में इराक़ के सेंजर क्षेत्र में यज़ीदी समुदाय के खिलाफ़ ISIS द्वारा किए गए जनसंहार से की है। ISIS ने उस समय 6400 से अधिक यज़ीदी महिलाओं और लड़कियों को गुलाम बना लिया था। उन्हें सीरिया और तुर्की में तस्करी करके या तो घरेलू या यौन दासी के रूप में बेचा गया, या लड़ाई के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इन हज़ारों में से बहुत से लोग अब तक लापता हैं।

इन घटनाओं से न केवल सीरिया में मानवाधिकार संकट और गहरा होता जा रहा है बल्कि ये घटनाएँ ISIS द्वारा अंजाम दी गई पुरानी घटनाओं और अपराधों की याद दिलाती हैं।

महत्वपूर्ण प्रश्न? क्या दुनिया एक बार फिर महिलाओं के खिलाफ़ संगठित अपराधों की गवाह बनेगी? और यह चुप्पी कब तक चलेगी?  mm