अमरीका की किसी भी तरह के सैन्य हस्तक्षेप का जवाब निश्चित रुप से अपूरणीय क्षति के रुप मे दिया जायेगा समझदार लोग जो ईरान उसके लोग ओर उसके इतिहास को जानते है कभी इस देश से धमकी की भाषा मे बात नही करते क्योकि ईरानी वो लोग नही जो सरेंडर करदे
तेहरान: ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने इजराइल के साथ जारी संघर्ष और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। ख़ामेनेई ने अमेरिका को चेतावनी दी कि किसी भी सैन्य हस्तक्षेप का जवाब "अपूर्वीय क्षति" के रूप में दिया जाएगा। उन्होंने ट्रंप की धमकियों को खारिज करते हुए कहा कि ईरानी जनता कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगी।
ख़ामेनेई ने अपने बयान में कहा, "जो लोग ईरान, उसके लोगों और उसके इतिहास को समझते हैं, वे कभी इस देश से धमकी की भाषा में बात नहीं करते। ईरानी वो लोग नहीं हैं जो सरेंडर करें।" उन्होंने ट्रंप की बयानबाजी को "बेबुनियाद" करार देते हुए कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति को उन लोगों को धमकाना चाहिए जो धमकियों से डरते हैं, न कि ईरानी जनता को, जो ऐसी धमकियों से अडिग रहती है।"
ट्रंप का बयान और तनाव का पृष्ठभूमि
यह प्रतिक्रिया ट्रंप के मंगलवार रात ट्रुथ सोशल पर किए गए पोस्ट के जवाब में आई, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अमेरिका को ख़ामेनेई का ठिकाना पता है। ट्रंप ने लिखा, "हमें अच्छी तरह पता है कि तथाकथित सुप्रीम लीडर कहां छिपे हैं। वह एक आसान निशाना हैं, लेकिन अभी वो वहां सुरक्षित हैं। हम उन्हें अभी हटाने (मारने) नहीं जा रहे, कम से कम अभी तो नहीं।" ट्रंप ने यह भी कहा कि वे नहीं चाहते कि ईरान आम नागरिकों या अमेरिकी सैनिकों पर मिसाइलें दागे, और चेतावनी दी कि "हमारा सब्र अब खत्म होता जा रहा है।"
13 जून 2025 को इजराइल द्वारा ईरान के कथित परमाणु कार्यक्रम से जुड़े ठिकानों पर हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले के बाद से इजराइल और ईरान एक-दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे हैं, जिससे मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ गई है।
ख़ामेनेई का दृढ़ रुख
ख़ामेनेई ने अपने बयान में ईरान की सैन्य तैयारियों और जनता के हौसले की तारीफ की। उन्होंने कहा, "हमारी सशस्त्र सेनाएं मातृभूमि की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इजराइल ने बड़ी गलती की है, और उसे अपने किए की सजा भुगतनी होगी।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि ईरान न तो "थोपी गई जंग" को स्वीकार करेगा और न ही "थोपी गई शांति" को।
सुप्रीम लीडर ने वैश्विक समुदाय से इजराइल के हमलों की निंदा करने की अपील की और कहा कि ईरान अपने शहीदों का खून नहीं बख्शेगा। उनके इस बयान से साफ है कि ईरान किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
इजराइल-ईरान संघर्ष ने मध्य पूर्व में पहले से ही जटिल भू-राजनीतिक स्थिति को और गंभीर कर दिया है। अमेरिका ने अब तक इस युद्ध में सीधे हस्तक्षेप से परहेज किया है, लेकिन ट्रंप के बयानों और अमेरिकी नौसैनिक बेड़े की तैनाती से संकेत मिलता है कि स्थिति जल्द ही और जटिल हो सकती है। इस बीच, ईरान ने कतर, सऊदी अरब और ओमान जैसे देशों से अपील की है कि वे ट्रंप प्रशासन पर दबाव डालें ताकि इजराइल को युद्धविराम के लिए मजबूर किया जा सके।
विश्लेषकों का मानना है कि ख़ामेनेई का यह बयान न केवल ट्रंप और इजराइल के लिए एक चेतावनी है, बल्कि ईरानी जनता के बीच एकता और प्रतिरोध को मजबूत करने का प्रयास भी है। यह संघर्ष क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है, और वैश्विक समुदाय इसकी नजदीकी से निगरानी कर रहा है।