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Wednesday, 18 June 2025

ईरान का करारा जवाब: इजरायल की सैन्य शक्ति को चुनौती, इज़रायल का ईरान पर हमला साबित हुआ ‘महंगी गलती’

ईरान का करारा जवाब: इजरायल की सैन्य शक्ति को चुनौती, इज़रायल का ईरान पर हमला साबित हुआ ‘महंगी गलती’
आयतुल्लाह ख़ामेनेई का संदेश इजरायल को मजबूर कर देंग
 
मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच चल रहा सैन्य टकराव 13 जून 2025 से एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू किए, जिसे ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया गया। लेकिन इस हमले का जवाब ईरान ने इतनी ताकत और रणनीति के साथ दिया कि इजरायल की सैन्य श्रेष्ठता पर सवाल उठने लगे हैं। इजरायली मीडिया और विश्लेषक भी अब स्वीकार करने लगे हैं कि ईरान पर हमला करना शायद एक ‘महंगी गलती’ थी, जिसने इजरायल को अभूतपूर्व सैन्य चुनौती के सामने ला खड़ा किया है।
        ईरान का अभूतपूर्व जवाबी हमला

इजरायल के हमलों के जवाब में, ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस थ्री’ के तहत 13 जून की रात से शुरू करके इजरायल पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन हमले किए। इनमें से कई मिसाइलें तेल अवीव, हाइफा, और यरुशलम जैसे प्रमुख शहरों में गिरीं, जिससे इजरायल में दहशत का माहौल बन गया। ईरानी समाचार एजेंसी IRNA के अनुसार, ईरान ने इजरायल के सैन्य ठिकानों, विशेष रूप से मोसाद मुख्यालय और सैन्य खुफिया एजेंसी AMAN की इमारतों को निशाना बनाया।

इजरायल की प्रसिद्ध वायु रक्षा प्रणाली, आयरन डोम, जिसे दुनिया का सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है, इस बार पूरी तरह प्रभावी नहीं रही। ईरानी मिसाइलों ने इस प्रणाली को भेदने में सफलता हासिल की, जिससे तेल अवीव में कई इमारतों को नुकसान पहुंचा और कम से कम 24 नागरिकों की मौत हुई। इजरायली मीडिया, जैसे जेरूसलम पोस्ट और चैनल 12, ने इस बात को स्वीकार किया है कि ईरान की मिसाइलें “अचूक नहीं थीं, लेकिन उनकी ताकत और सटीकता ने इजरायल को चौंका दिया।”
इजरायली मीडिया की स्वीकारोक्ति: ‘हमारे पास जवाब नहीं’

इजरायली रक्षा बलों (IDF) के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नदव शोशानी ने एक साक्षात्कार में पत्रकार उमा शंकर के साथ बातचीत में पहली बार माना कि “ईरान कोई कमजोर दुश्मन नहीं है।” यह बयान इजरायल के लिए एक बड़ा बदलाव है, जो हमेशा से अपनी सैन्य श्रेष्ठता का दावा करता रहा है। इजरायली विश्लेषकों ने यह भी कहा कि ईरान की सैन्य तैयारी और जवाबी हमलों की गति ने इजरायल को रक्षात्मक स्थिति में ला दिया है।

जेरूसलम पोस्ट की एक रिपोर्ट में लिखा गया, “ईरान ने न केवल मिसाइलों की बारिश की, बल्कि उसने इजरायल के मनोबल को भी तोड़ा। हमारी वायु रक्षा प्रणाली ने कई मिसाइलों को रोका, लेकिन कुछ के जमीन तक पहुंचने ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हम पूरी तरह तैयार थे।” इजरायली मीडिया ने यह भी दावा किया कि ईरान के पास अब तक अनुमान से कहीं अधिक उन्नत हथियार हैं, जिसमें हाइपरसोनिक मिसाइलें भी शामिल हो सकती हैं, जिन्हें रोकना आयरन डोम के लिए चुनौतीपूर्ण है।

ईरान की रणनीति: सैन्य और मनोवैज्ञानिक दबाव

ईरान ने इस संघर्ष में न केवल सैन्य ताकत दिखाई, बल्कि मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी बढ़त हासिल की। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने 18 जून 2025 को X पर पोस्ट किया, “जंग शुरू हो गई है। जायोनी शासन को कड़ा जवाब मिलेगा।” इस बयान ने न केवल ईरानी जनता को एकजुट किया, बल्कि क्षेत्रीय प्रॉक्सी समूहों जैसे हिजबुल्लाह, हौथी, और हमास को भी सक्रिय कर दिया। यमन के हौथी विद्रोहियों ने हेब्रोन पर मिसाइल हमले किए, जिसने इजरायल को कई मोर्चों पर लड़ने के लिए मजबूर कर दिया।

ईरान ने यह भी दावा किया कि उसने इजरायल के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज हासिल कर लिए हैं, जिससे इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा, “हम युद्ध का विस्तार नहीं चाहते, लेकिन हमलावर को ऐसा जवाब देंगे कि उसे पछताना पड़े।”

इजरायल की गलती: समय और रणनीति में चूक

इजरायल का यह हमला कई मायनों में समय से पहले और जोखिम भरा माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि ईरान के पास 60% तक संवर्धित यूरेनियम है, जो छह परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त हो सकता है। लेकिन ईरान ने हमेशा दावा किया कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है। इजरायल के हमले ने इस दावे को और मजबूत कर दिया, क्योंकि कई मुस्लिम देशों ने इजरायल की कार्रवाई की निंदा की।

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि हमले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “कई साल पीछे धकेल दिया,” लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह अतिशयोक्ति है। ईरान की फोर्डो और नतांज सुविधाओं को सीमित नुकसान हुआ, और ईरान ने तुरंत अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज करने की घोषणा की। इसके अलावा, इजरायल के हमलों में कई नागरिकों की मौत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी आलोचना को और बढ़ा दिया।


वैश्विक प्रभाव और भारत की स्थिति

इस संघर्ष का असर वैश्विक स्तर पर दिख रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में 10% की उछाल आई, जिससे भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए चिंता बढ़ गई। भारत ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की और अपने नागरिकों के लिए ईरान में यात्रा सलाह जारी की। भारतीय कूटनीतिज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने सुझाव दिया कि भारत को इजरायल की रणनीति से सीखना चाहिए, लेकिन यह भी कहा कि समय से पहले हमला करना जोखिम भरा हो सकता है।


ईरान के सैन्य जवाब ने इजरायल को न केवल सैन्य, बल्कि मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक स्तर पर भी पीछे धकेल दिया है। इजरायली मीडिया की स्वीकारोक्ति और नागरिकों में बढ़ती चिंता यह दर्शाती है कि ईरान पर हमला करना नेतन्याहू सरकार के लिए एक रणनीतिक भूल साबित हो सकता है। यह संघर्ष अब क्षेत्रीय युद्ध की ओर बढ़ रहा है, जिसमें अमेरिका और अन्य शक्तियों की भागीदारी की आशंका बढ़ गई है। सवाल यह है कि क्या इजरायल इस चुनौती से उबर पाएगा, या ईरान का यह जवाब मध्य पूर्व के शक्ति संतुलन को हमेशा के लिए बदल देगा।