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Wednesday, 18 June 2025

ट्रंप की ‘बिना शर्त सरेंडर’ की मांग के बाद खामेनेई की हुंकार: ‘जंग शुरू हो गई’

ट्रंप की ‘बिना शर्त सरेंडर’ की मांग के बाद खामेनेई की हुंकार: ‘जंग शुरू हो गई’
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनावपूर्ण संघर्ष के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 17 जून 2025 को एक सख्त संदेश जारी कर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई से ‘बिना शर्त आत्मसमर्पण’ की मांग की। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “हमें ठीक-ठीक पता है कि तथाकथित ‘सर्वोच्च नेता’ कहां छिपा है। वह एक आसान निशाना है, लेकिन वह वहां सुरक्षित है। हम उसे अभी खत्म नहीं करेंगे, कम से कम अभी के लिए नहीं। लेकिन हम नहीं चाहते कि नागरिकों या अमेरिकी सैनिकों पर मिसाइलें दागी जाएं। हमारा धैर्य जवाब दे रहा है।” इसके कुछ ही मिनट बाद ट्रंप ने दो शब्दों का एक और संदेश पोस्ट किया: “UNCONDITIONAL SURRENDER!”

ट्रंप के इस उग्र बयान का जवाब देते हुए, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने 18 जून 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक तीखा बयान जारी किया। खामेनेई ने फारसी में लिखा, “जंग शुरू हो गई है,” और एक अन्य पोस्ट में कहा, “हमें आतंकवादी जायोनी शासन को कड़ा जवाब देना होगा। हम जायोनियों पर कोई रहम नहीं करेंगे।” उनकी पोस्ट में सातवीं शताब्दी में शिया इस्लाम के पहले इमाम अली की खैबर की विजय का जिक्र था, जो एक प्रतीकात्मक संदेश था, जिसमें इजरायल को ‘जायोनी शासन’ कहकर निशाना बनाया गया।

पृष्ठभूमि और संदर्भ

इजरायल और ईरान के बीच यह ताजा संघर्ष 13 जून 2025 को शुरू हुआ, जब इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए हवाई हमले शुरू किए। इजरायली सेना ने तेहरान में सेंट्रीफ्यूज उत्पादन स्थल और अन्य सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन हमले किए। इस संघर्ष में अब तक ईरान में 200 से अधिक लोग, ज्यादातर नागरिक, और इजरायल में कम से कम 24 नागरिक मारे गए हैं।

ट्रंप की यह मांग ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका ने मध्य पूर्व में अतिरिक्त फाइटर जेट और युद्धपोत तैनात किए हैं। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका इजरायल के साथ मिलकर ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में शामिल होने की योजना बना रहा है। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने पहले यह दावा किया था कि अमेरिका इस संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है और क्षेत्र में उसकी सैन्य तैनाती केवल रक्षात्मक है।
ख़ामेनेई ने लिखा, "हमें आतंकवादी ज़ायनिस्ट शासन को कड़ा जवाब देना चाहिए. हम ज़ायनिस्टों पर कोई दया नहीं दिखाएंगे."

खामेनेई का जवाब न केवल ट्रंप की धमकी का प्रत्युत्तर है, बल्कि यह ईरान की उस नीति को भी दर्शाता है, जिसमें वह इजरायल के साथ किसी भी तरह के समझौते से इनकार करता है। खामेनेई ने अपनी पोस्ट में स्पष्ट किया कि ईरान “जायोनियों के साथ कभी समझौता नहीं करेगा।” यह बयान उनके समर्थकों के बीच एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब ईरान के कई सैन्य और परमाणु वैज्ञानिक इजरायली हमलों में मारे जा चुके हैं।

वैश्विक प्रतिक्रिया और चिंताएं

ट्रंप के बयान और खामेनेई के जवाब ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने G7 शिखर सम्मेलन के दौरान चेतावनी दी कि ईरान में शासन परिवर्तन की कोशिश क्षेत्र में “अराजकता” पैदा कर सकती है। उन्होंने अमेरिका से इस संघर्ष को शांत करने के लिए कूटनीतिक प्रयास करने की अपील की।

इस बीच, अमेरिकी कांग्रेस में कुछ सांसदों ने ट्रंप को चेतावनी दी है कि बिना संसदीय अनुमति के ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई असंवैधानिक होगी। केंटुकी के सांसद थॉमस मैसी और कैलिफोर्निया के सांसद रो खन्ना ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें ट्रंप को ईरान के खिलाफ “अनधिकृत शत्रुता” से रोका गया है।

क्या है आगे की राह?

ट्रंप की धमकी और खामेनेई का जवाब इस बात का संकेत है कि दोनों पक्षों के बीच तनाव चरम पर है। ट्रंप ने जहां पहले कूटनीतिक समाधान की बात की थी, वहीं उनके ताजा बयान यह संकेत देते हैं कि वह अब सैन्य हस्तक्षेप की दिशा में झुक रहे हैं। दूसरी ओर, खामेनेई का बयान ईरान की दृढ़ता को दर्शाता है, जो इजरायल और अमेरिका के दबाव के बावजूद पीछे हटने को तैयार नहीं है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने की इजरायल की कोशिश और अमेरिका की संभावित भागीदारी से मध्य पूर्व में एक व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ गई है। साथ ही, ईरान के सहयोगी समूह जैसे हिजबुल्लाह और हौथी भी इस संघर्ष में शामिल हो सकते हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो सकती है।

ट्रंप और खामेनेई के बीच यह शब्दों का युद्ध न केवल इजरायल-ईरान संघर्ष को और गहरा रहा है, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी एक बड़ा खतरा बन रहा है। दोनों नेताओं की आक्रामक बयानबाजी से यह स्पष्ट है कि फिलहाल तनाव कम होने की कोई संभावना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब इस बात पर नजर रखे हुए है कि क्या यह शब्दों की जंग वास्तविक युद्ध में तब्दील होगी, या कूटनीति कोई रास्ता निकाल पाएगी।