अमेरिका ने हाल ही में इराक की राजधानी बगदाद में स्थित अपने दूतावास से गैर-जरूरी कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकालने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, बहरीन और कुवैत में भी अमेरिकी सैन्य कर्मियों के परिजनों को स्वैच्छिक रूप से क्षेत्र छोड़ने की अनुमति दी गई है। इस कदम ने मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और संभावित सुरक्षा खतरों को लेकर कई आशंकाएं पैदा कर दी हैं।
फैसले के पीछे की वजहें
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस निर्णय को क्षेत्र में बढ़ते सुरक्षा जोखिमों से जोड़ा है, हालांकि ठोस कारणों का खुलासा नहीं किया गया। कई विशेषज्ञों और सूत्रों के अनुसार, यह कदम ईरान के साथ चल रही परमाणु वार्ता में रुकावट और इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर संभावित हमले की आशंका से जुड़ा हो सकता है। ईरान के रक्षा मंत्री अजीज नसीरजादेह ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि यदि परमाणु वार्ता विफल होती है या कोई हमला होता है, तो ईरान क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकता है।
सीबीएस न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों को जानकारी मिली है कि इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की पूरी तैयारी कर चुका है, और ऐसी स्थिति में ईरान इराक में मौजूद अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है। इसके चलते अमेरिका ने न केवल इराक, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में अपने कर्मचारियों और सैन्य परिवारों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया।
क्षेत्रीय तनाव और परमाणु वार्ता
पिछले कुछ समय से अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर बातचीत रुकी हुई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में कहा कि वह इस बात को लेकर कम आशान्वित हैं कि ईरान यूरेनियम संवर्धन को रोकने के लिए सहमत होगा। ट्रम्प ने यह भी दोहराया कि अमेरिका किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं देगा।
इस बीच, ईरान ने दावा किया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों, जैसे ऊर्जा उत्पादन, के लिए है। हालांकि, अमेरिका और इजरायल इसे गंभीर खतरे के रूप में देखते हैं। ब्रिटेन की समुद्री एजेंसी ने भी क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण जहाजों को फारस की खाड़ी, ओमान की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य में सावधानी बरतने की चेतावनी दी है।
दूतावास निकासी की खबरों के बाद तेल की कीमतों में 4% से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई, क्योंकि मध्य पूर्व में संभावित अस्थिरता से तेल आपूर्ति प्रभावित होने का डर है। यह क्षेत्र वैश्विक तेल व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है, और किसी भी सैन्य तनाव का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
इराक की स्थिति
इराक के एक सरकारी सूत्र ने दावा किया कि बगदाद में कोई ऐसा सुरक्षा संकेत नहीं मिला, जिसके आधार पर निकासी जरूरी हो। फिर भी, इराक की जटिल स्थिति, जहां वह अमेरिका और ईरान दोनों का सहयोगी है, इसे संवेदनशील बनाती है। इराक में 2,500 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं, और ईरान समर्थित सशस्त्र समूहों का प्रभाव भी है, जिसके कारण तनाव और बढ़ सकता है।
क्या हो सकता है आगे?
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह निकासी केवल एक सावधानीपूर्ण कदम हो सकता है, जबकि अन्य इसे इजरायल या अमेरिका द्वारा ईरान के खिलाफ संभावित सैन्य कार्रवाई का संकेत मान रहे हैं। पूर्व अमेरिकी राजदूत डैनियल शापिरो ने कहा कि यह कदम सैन्य कार्रवाई की तैयारी का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि तत्काल हमला हो।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ अभी भी ईरान के साथ वार्ता के लिए रविवार को ओमान में ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची से मिलने की योजना बना रहे हैं, लेकिन वार्ता की सफलता पर संदेह बढ़ रहा है।