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Wednesday, 2 July 2025

4 दशक बाद न्याय: आयतुल्लाह सद्र और उनकी बहन की हत्या के लिए बास पार्टी के दोषियों को मौत की सजा

4 दशक बाद न्याय: आयतुल्लाह सद्र और उनकी बहन की हत्या के लिए बास पार्टी के दोषियों को मौत की सजा
इराक की उच्च आपराधिक अदालत ने 1980 में शिया मुसलमानों के महान धार्मिक नेता शहीद आयतुल्लाह सैय्यद मोहम्मद बाक़िरु सद्र और उनकी बहन शहीदा बिंतुल हुदा की हत्या के मामले में बास पार्टी शासन के दो पूर्व अधिकारियों, सादून सबरी और हैसम अब्दुल अज़ीज़, को मौत की सजा सुनाई है। इरना की रिपोर्ट के अनुसार, इराकी सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने सोमवार को इस फैसले की घोषणा की, जिसे इराकी दंड संहिता की धारा 406 और उच्च आपराधिक अदालत कानून की धारा 12 व 15 के तहत सुनाया गया। काउंसिल के बयान में कहा गया कि दोनों दोषी बास पार्टी के दमनकारी तंत्र में उच्च पदों पर थे और उन्होंने जिसर दियाली क्षेत्र में आयतुल्लाह सद्र और उनकी बहन की हत्या में अपनी भागीदारी स्वीकार की। उन्होंने यह भी कबूला कि अपराध के बाद शहीद सद्र के पार्थिव शरीर को नजफ शहर ले जाया गया था। यह हत्याएं सद्दाम हुसैन के शासनकाल के दौरान शिया धार्मिक और सांस्कृतिक हस्तियों के खिलाफ किए गए ऐतिहासिक अपराधों में से एक मानी जाती हैं, जिनका समकालीन इराक और इस्लामी दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा। आयतुल्लाह मोहम्मद बाक़िरु सद्र एक प्रमुख शिया धार्मिक नेता, विचारक और दार्शनिक थे, जिन्होंने इराकी इस्लामी दावा पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1980 में, सद्दाम शासन ने उन पर ईरान के साथ सहयोग का आरोप लगाकर उनकी और उनकी बहन बिंतुल हुदा की हत्या कर दी थी। इस घटना ने शिया समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा किया और इसे बास पार्टी के दमनकारी शासन के सबसे क्रूर कृत्यों में से एक माना जाता है। इराक के प्रधानमंत्री और सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने जनवरी 2024 में घोषणा की थी कि आयतुल्लाह सद्र, उनकी बहन और अल-हकीम परिवार के कई शहीदों की हत्या में शामिल अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। अल-सुदानी ने जोर देकर कहा कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा, भले ही उनके अपराध को दशकों बीत चुके हों। यह फैसला उस प्रतिबद्धता का परिणाम है, जो इराक में ऐतिहासिक अन्याय को संबोधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

निष्कर्ष
 चार दशक बाद, आयतुल्लाह मोहम्मद बाक़िरु सद्र और शहीदा बिंतुल हुदा की हत्या के दोषियों को सजा सुनाया जाना इराकी इतिहास के एक दुखद अध्याय में न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। यह फैसला न केवल शिया समुदाय के लिए, बल्कि समग्र इराकी समाज के लिए भी ऐतिहासिक अपराधों के खिलाफ जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रतीक है।