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Wednesday, 2 July 2025

इज़राइल का ईरान पर हमला उल्टा पड़ा, अमेरिकी पत्रिका ने उजागर की तेल अवीव की रणनीतिक हार

इज़राइल का ईरान पर हमला उल्टा पड़ा, अमेरिकी पत्रिका ने उजागर की तेल अवीव की रणनीतिक हार
अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी ने 12-दिवसीय इज़राइल-ईरान युद्ध में तेल अवीव की रणनीतिक विफलता और ईरान की सैन्य व कूटनीतिक जीत की समीक्षा की है। पार्स टुडे के हवाले से पत्रिका ने लिखा कि इज़राइल द्वारा शुरू किए गए व्यापक हवाई हमलों का जवाब ईरान ने इज़राइली और अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल हमलों से दिया, जिसने क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाया और इज़राइल के युद्ध लक्ष्यों को विफल कर दिया।
 युद्ध के प्रमुख परिणाम: - 

ईरान की मिसाइल शक्ति का प्रदर्शन:

 ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने अमेरिकी और इज़राइली सात-परत वायु रक्षा प्रणालियों को भेदकर तेल अवीव, हइफ़ा और अन्य शहरों में सैन्य ठिकानों, तेल रिफाइनरियों और खुफिया केंद्रों को निशाना बनाया। -

 इज़राइल की परमाणु रणनीति पर असफलता:

पश्चिमी खुफिया आकलनों के अनुसार, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कोई उल्लेखनीय नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि इसके मुख्य संयंत्र अत्यधिक सुरक्षित हैं। - 
ईरान की कूटनीतिक चाल:

ईरानी संसद ने इज़राइली हमलों के जवाब में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग निलंबित कर "परमाणु अस्पष्टता" की नीति अपनाई, जो इज़राइल की लंबे समय की रणनीति को दर्शाती है। 

इज़राइल पर आर्थिक और सामरिक प्रभाव:

 - तेल अवीव का बेन गुरियन हवाई अड्डा सहित कई हवाई अड्डे बंद हुए, जिससे इज़राइली अर्थव्यवस्था ठप हो गई। - इज़राइल ने 500 मिलियन डॉलर से अधिक की अमेरिकी "थाड" मिसाइल रक्षा प्रणाली का उपयोग किया, जो ईरानी मिसाइलों को रोकने में असफल रही। - युद्ध के दौरान 41,000 से अधिक क्षतिपूर्ति दावे दर्ज किए गए, जो इज़राइल की आर्थिक क्षति को दर्शाते हैं। 

अमेरिकी प्रतिक्रिया:

 डोनाल्ड ट्रम्प के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन ने स्वीकार किया कि इज़राइल की वायु रक्षा प्रणाली अपर्याप्त थी, और युद्ध रोकना आवश्यक था। ट्रम्प ने भी माना कि "इज़राइल को भारी नुकसान हुआ है।" 

ईरान में राष्ट्रवाद और एकता:

 युद्ध ने पश्चिमी अपेक्षाओं के विपरीत ईरानी समाज में राष्ट्रवाद और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा दिया। इज़राइली हमलों में बच्चों, डॉक्टरों और आम नागरिकों की शहादत ने ईरानियों में यह विश्वास पैदा किया कि युद्ध का उद्देश्य उनका विनाश था, न कि "मुक्ति।" इसने विभिन्न सामाजिक वर्गों को एकजुट किया और राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया।

 इज़राइल की रणनीतिक भूल:

 इज़राइल ने गलत अनुमान लगाया कि युद्ध से ईरानी शासन कमजोर होगा। इसके बजाय, युद्ध ने इज़राइल की सैन्य सीमाओं को उजागर किया और ईरान की आंतरिक एकता को सुदृढ़ किया।

 दीर्घकालिक प्रभाव:

 इस युद्ध ने ईरान में एक "सामूहिक स्मृति" बनाई, जो भविष्य की पीढ़ियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूक रखेगी। *फॉरेन पॉलिसी* के अनुसार, यह संघर्ष पश्चिमी भू-राजनीतिक अनुमानों के विपरीत परिणाम देने वाला उदाहरण बन गया, जहां बाहरी आक्रमण ने लक्षित राष्ट्र को कमजोर करने के बजाय मजबूत किया। 

निष्कर्ष:

ईरान ने न केवल अपनी सैन्य और मिसाइल क्षमताओं का प्रदर्शन किया, बल्कि कूटनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी इज़राइल और उसके सहयोगियों को पीछे छोड़ दिया। इज़राइल की रणनीतिक विफलता और ईरान की स्वावलंबी नीतियों ने पश्चिम एशिया में शक्ति संतुलन को बदल दिया है।