ज़ायोनी शासन की सेना ने ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी हिस्से में फ़िलिस्तीनी लड़ाकों द्वारा किए गए घात में कई इज़राइली सैनिकों के मारे जाने और घायल होने की सूचना दी।
ज़ायोनी मीडिया ने मंगलवार को बैते हानून में फिलिस्तीनी प्रतिरोध द्वारा इज़रायली कब्जाधारियों के खिलाफ़ किए गए इस घात को "अभूतपूर्व और जटिल" बताया। इन सूत्रों के अनुसार यह हमला खान यूनिस की घटना की याद दिलाता है और युद्ध की शुरुआत के बाद से कब्जाधारी सेना पर लगे सबसे खूनी प्रहारों में से एक है।
पार्सटुडे के अनुसार अल-आलम की रिपोर्ट में कहा गया है कि कि ग़ाज़ा के उत्तरी क्षेत्र बैते हानून में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध द्वारा किए गए बड़े ऑपरेशन में 5 इज़राइली सैनिक मारे गए और 14 अन्य घायल हुए।
रिपोर्ट्स के अनुसार ज़ायोनी शासन का एक और सैनिक लापता हो गया है। वहीं स्थानीय मीडिया ने बताया है कि ज़ायोनी मीडिया ने अब तक ज़ायोनी शासन की सेना के 6 सैनिकों के मारे जाने और 11 अन्य के घायल होने की पुष्टि की है।
ऑपरेशन कैसे अंजाम दिया गया?
अल-जज़ीरा ने ज़ायोनी मीडिया के हवाले से ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी हिस्से में हुए इस जटिल सुरक्षा ऑपरेशन के नए विवरण प्रकाशित किए। रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में इज़राइली सैनिकों के लिए एक सुनियोजित घात तैयार किया गया था:
पहला बम इज़राइली सेना के टैंक पर गिराया गया
दूसरा बम तब फ़टा जब कब्जाधारियों को बचाने के लिए एक टीम मौके पर पहुँची।
तीसरा बम कब्जाधारियों की दूसरी टीम को निशाने पर लेते हुए फ़टा
चौथा बम और हल्के हथियारों की गोलाबारी ने घायल ज़ायोनी सैनिकों को निशाना बनाया।
इसके अलावा घटनास्थल के निकट प्रतिरोध द्वारा भारी मोर्टार हमले की सूचना मिली जिससे ज़ायोनी सैनिकों का भागने का ऑपरेशन विलंबित हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक मोर्टार हमलों की तीव्रता के कारण शासन के कुछ सैनिक अपने निशाना बने वाहनों में जलकर मारे गए।
नेतन्याहू ने वीटकेफ़ के साथ बैठक अधूरी छोड़ी
इज़राइली मीडिया के अनुसार ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतन्याहू ने ग़ाज़ा पट्टी के उत्तर में हुए सुरक्षा घटना की तत्काल रिपोर्ट मिलते ही अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि स्टीव वीटक़ेफ़ के साथ अपनी बैठक बीच में ही समाप्त कर दी। हिब्रू मीडिया के अनुसार यह घटना ठीक उसी समय हुई जब नेतन्याहू और वीटकेफ़ की बैठक शुरू हुई थी।
ज़ायोनी मीडिया ने नेतन्याहू की एक तस्वीर जारी की जिसमें वह वाशिंगटन में फिलिस्तीनी लड़ाकों के इस सटीक ऑपरेशन की ख़बर सुनते हुए दिख रहे हैं। उनके चेहरे पर मौजूद गहरी चिंता से स्पष्ट है कि उन्हें अमेरिका यात्रा के दौरान ग़ाज़ा के उत्तर में ज़ायोनी सैनिकों के खिलाफ़ इस तरह के ऑपरेशन की उम्मीद नहीं थी।
अल्लाहो अकबर" की गूंज से गूंज उठे प्रतिरोध बलों के साहस का जश्न
फिलिस्तीनी प्रतिरोध द्वारा बैते हानून क्षेत्र में किए गए व्यापक और सफ़ल ऑपरेशन के बाद, लेबनान स्थित फिलिस्तीनी शिविरों का माहौल जोश और उत्साह से भर गया। अल-मयादीन टीवी चैनल ने बताया कि इन शिविरों की मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से "तकबीर" अर्थात अल्लाहु अकबर की गूंज सुनाई दी जिसने इस ऑपरेशन को सलामी दी और प्रतिरोध बलों की दृढ़ता व साहस का सम्मान किया।
यह प्रतीकात्मक कार्रवाई ऐसे समय हुई जब इज़राइली सूत्रों ने ज़ायोनी शासन की सेना को इस जटिल हमले में भारी नुकसान की पुष्टि की है। विश्लेषकों का मानना है कि यह पिछले कई महीनों में कब्जाधारी सेना के लिए सबसे गंभीर सुरक्षा घटनाओं में से एक है।
अल-क़स्साम: शहीदों और अंतिम संस्कार के दृश्य अब एक नियमित घटना बन जाएंगे।
हमास की सैन्य शाखा अल-क़स्साम ब्रिगेड ने बैते हानून ऑपरेशन पर हिब्रू और अरबी भाषा में एक पोस्टर जारी कर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। "हम तुम्हारी सेना का मनोबल तोड़ देंगे" शीर्षक वाले इस पोस्टर में अल-क़स्साम के प्रवक्ता अबू उबैदा के पुराने बयान को पेश किया गया।
अगर दुश्मन द्वारा हमारे लोगों के खिलाफ़ अपराधी युद्ध और आक्रमण जारी रहा, तो दुश्मन सैनिकों के शवों और उनके अंतिम संस्कार के दृश्य एक नियमित घटना बन जाएंगे।"
इस पोस्टर के माध्यम से अल-क़स्साम ने स्पष्ट संदेश दिया कि प्रतिरोध का दबाव बढ़ता रहेगा।
अल्लाहो अकबर" इस्लामी विजयोल्लास का प्रतीकात्मक उद्घोष है जो प्रतिरोध की आध्यात्मिक-राजनीतिक भाषा का हिस्सा है। MM