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Saturday, 5 July 2025

गुजरात में मनरेगा घोटाला, मध्य प्रदेश में हजार करोड़ का कमीशन खेल: भ्रष्टाचार की बाढ़!"

गुजरात में मनरेगा घोटाला, मध्य प्रदेश में हजार करोड़ का कमीशन खेल: भ्रष्टाचार की बाढ़!"
भारत में सरकारी योजनाओं और विकास के दावों के बीच भ्रष्टाचार की काली छाया बार-बार उजागर हो रही है। हाल ही में गुजरात और मध्य प्रदेश से सामने आए घोटाले इस बात का सबूत हैं कि सत्ता और धन का गठजोड़ आम आदमी के हक को कैसे लूट रहा है। गुजरात में मनरेगा योजना में करोड़ों रुपये की हेराफेरी और मध्य प्रदेश में हजार करोड़ के कमीशन घोटाले ने व्यवस्था की पोल खोल दी है। ये घोटाले न केवल सरकारी तंत्र की नाकामी को दर्शाते हैं, बल्कि यह सवाल भी उठाते हैं कि आखिर गरीबों के लिए बनी योजनाओं का पैसा किसके खाते में जा रहा है?

  गुजरात: मनरेगा में 71 करोड़ का घोटाला गुजरात के दाहोद जिले में मनरेगा योजना के तहत 71 करोड़ रुपये के घोटाले ने सनसनी मचा दी है। इस मामले में पंचायत राज्यमंत्री बचुभाई खाबड़ के बेटे बलवंत खाबड़ और तहसील विकास अधिकारी दर्शन पटेल को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि बिना काम किए फर्जी बिलों के जरिए भुगतान उठाया गया। विपक्षी नेता अमित चावड़ा ने दावा किया है कि गहन जांच हो तो घोटाले की राशि 200 करोड़ से भी अधिक हो सकती है। यह घोटाला आदिवासी इलाकों में चल रही परियोजनाओं से जुड़ा है, जहां सड़क, बांध और पुलिया जैसे कार्यों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया। पुलिस ने अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन मंत्री का दूसरा बेटा किरण खाबड़ अभी फरार है।
मध्य प्रदेश: हजार करोड़ का कमीशन घोटाला मध्य प्रदेश में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां हजार करोड़ रुपये के कमीशन घोटाले के आरोप लगे हैं। यह घोटाला सरकारी योजनाओं और ठेकों में कमीशन के नाम पर बड़े पैमाने पर धन की हेराफेरी से जुड़ा है। हाल ही में शिवपुरी जिले में पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) घोटाले का भी खुलासा हुआ, जहां गरीबों के लिए राशन को गुजरात की फैक्ट्रियों में भेजा जा रहा था। प्रशासन ने ग्रामीणों को तीन महीने का राशन देने का वादा तो किया, लेकिन इस मामले में ठोस कार्रवाई का अभाव साफ दिखता है।


दोहरा मापदंड और चुनावी हिंदू का दर्द इन घोटालों के बीच आम आदमी, खासकर किसान और गरीब मजदूर, सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। किसान कर्ज के बोझ तले दबकर अपने खेत और घर गंवा रहा है, जबकि बड़े कॉरपोरेट मित्रों के हजारों करोड़ के लोन को "फ्रॉड" घोषित कर आसानी से माफ कर दिया जाता है। सवाल उठता है कि क्या सत्ता से नजदीकी के कारण इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती? इसके अलावा, हिंदुओं के नाम पर सियासत करने वाले चुनाव के समय "हिंदू-हिंदू" का नारा तो लगाते हैं, लेकिन दिल्ली में झोपड़पट्टियों के टूटने और गरीब हिंदुओं के दर्द को भूल जाते हैं। क्या ये सिर्फ "चुनावी हिंदू" हैं, जिन्हें वोट के बाद भुला दिया जाता है? 

 भ्रष्टाचार की बाढ़: और कितने घोटाले बाकी? गुजरात और मध्य प्रदेश के ये घोटाले सिर्फ हिमशैल की नोक हैं। झारखंड में 54 करोड़ का मनरेगा घोटाला, बिहार में 1.23 करोड़ की हेराफेरी, और देश के अन्य हिस्सों में फर्जी जॉब कार्ड और मृतकों के नाम पर भुगतान जैसे मामले बार-बार सामने आ रहे हैं। सरकार ने आधार आधारित पेमेंट सिस्टम और निगरानी बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि ये उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं।


लेखक का दृष्टिकोण**: यह लेख गुजरात और मध्य प्रदेश के हालिया घोटालों के साथ-साथ देश में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। यह सवाल उठाता है कि जब गरीबों के लिए बनी योजनाओं का पैसा लूटा जा रहा है, तो क्या विकास का दावा सिर्फ एक जुमला है?