शुक्रवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे की गिरावट के साथ 88.27 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर बंद हुआ। इस गिरावट का प्रमुख कारण विदेशी फंड्स का लगातार बाहर जाना और भारतीय आईटी सेक्टर पर अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने की अफवाहें थीं। हालांकि, इन अफवाहों के गलत साबित होने के बाद रुपये में मामूली सुधार देखा गया, लेकिन विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दबाव बना रहा। इस गिरावट ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर विदेशी निवेश और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के प्रभाव को उजागर किया। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में रुपये के प्रदर्शन पर वैश्विक आर्थिक रुझान और घरेलू नीतियों का गहरा असर पड़ेगा।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, 88.27 पर बंद