पटना: बिहार की सियासत यूं तो जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती है। लेकिन जाति से अलग भी एक आधार बनकर बिहार में तैयार है। वो है आधी आबादी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई मौकों पर आधी आबादी का जिक्र भी करते रहते हैं। एनडीए में थे तब भी, एनडीए से बाहर हुए तब भी। बार-बार महिलाओं के नाम लेते रहते हैं। नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो चुके हैं। इस वक्त आरजेडी के साथ बिहार में सरकार चला रहे हैं। इस तरह नीतीश के पास 'M स्कॉयर Y' है। ऐसे में बीजेपी को इस चुनौती से निपटने के लिए किसी और रणनीति पर काम कर रही है। यही कारण है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सीमांचल बुलाकर बिहार में सियासी खेला करना चाहती है।
अब सवाल उठता है कि 'M स्कॉयर Y' क्या है। इससे निपटने के लिए बीजेपी को किसी और रणनीति पर क्यों काम करना होगा? दरअसल, 'M स्कॉयर Y' का मतलब है कि मुस्लिम, महिला और यादव। 2005 में सत्ता संभालने के बाद नीतीश कुमार ने महिलाओं के वोट की ताकत को समझा। महिलाओं का आधार अपने लिए तैयार करने की शुरुआत की। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने 2006 में निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए आधी सीटें आरक्षित करने का फैसला किया। इसके बाद नीतीश कुमार 2007 में स्कूली लड़कियों के लिए मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना और बालिका पोशाक योजना शुरू की। 2015 चुनाव से ठीक पहले महिलाओं की मांग पर शराबबंदी का वादा किया, जो सत्ता में आने के 5 महीने के अंदर पूर्ण शराबबंदी लागू करने का फैसला किया। यही नहीं, सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया। वहीं, साल 2017 से दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाकर आधी आबादी के इस आधार को कास्ट लाइन से हटकर और मजबूत की। जिसका फायदा उन्हें चुनावों में मिलते रहा है।
नीतीश कुमार जब से बीजेपी से अलग हुए हैं, तब से बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। पीएम मोदी पर निशाना साधते रहते हैं। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को एक करने में जुटे हैं। नीतीश कुमार को पता है कि उनके साथ आधी आबादी के साथ-साथ उनके जाति को वोटर्स तो हैं ही। अब तो लालू यादव का 'M-Y' भी साथ है। ऐसे में वो बिहार में बीजेपी को सीधे चुनौती दे सकते हैं।
बीजेपी के गद्दावर नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे हैं। 23 और 24 सितंबर को सीमांचल में रहेंगे। बिहार में जेडीयू और बीजेपी की राहें जुदा होने के बाद सियासी गणित पूरी तरह बदल गया है। दोनों तरफ से जुबानी जंग तेज है। इन सब के बीच अब मैदान पर ताकत दिखाने की कवायद तेज कर दी गई है। यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह 23 और 24 सिंतबर को बिहार के पूर्णिया और किशनगंज में बड़ी रैली करेंगे। सियासी पंडितों का मानना है कि इस रैली के जरिए बीजेपी बिहार में मिशन 2024 की शुरुआत करेगी।
नीतीश कुमार जब से एनडीए से अलग हुए हैं, तब से बीजेपी 'M स्कॉयर Y' का काट ढूंढ रही है। हालांकि बीजेपी के पास इसकी काट के तौर पर 'हिंदुत्व कार्ड' ही सबसे बड़ा मुद्दा है। शायद यही कारण है कि अमित शाह मुस्लिम बहुल इलाके में रैली करने आ रहे हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि लालू-नीतीश की 'M स्कॉयर Y' का काट बीजेपी ढूंढ पाती है कि नहीं।