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Saturday, 1 March 2025

मुस्लिमों के हाथों में योगी आदित्यनाथ के मठ का फाइनैंस और गायें

मुस्लिमों के हाथों में योगी आदित्यनाथ के मठ का फाइनैंस और गायें
बीते 35 वर्षों से गोरखनाथ मंदिर के अंदर होने वाला हर निर्माण कार्य एक मुस्लिम की निगरानी में होता आ रहा है, यासिन अंसारी ही मंदिर के खर्च का हिसाब-किताब रखते हैं। उनकी गायों की देखभाल करने वाला मान मोहम्मद भी एक मुस्लिम है।

यूपी के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक महंत हैं, भगवा कपड़े पहनते हैं, उनकी छवि एक कट्टर हिंदू वाली लगती है, लेकिन उनके मठ के भीतर का वातावरण आपकी इस सोच को बदलकर रख देगा। योगी के मठ के अंदर सांप्रदायि़कता का कोई कण नहीं नजर आता। बीते 35 वर्षों से गोरखनाथ मंदिर के अंदर होने वाला हर निर्माण कार्य एक मुस्लिम की निगरानी में होता आ रहा है, यासिन अंसारी ही मंदिर के खर्च का हिसाब-किताब रखते हैं।

हमारे सहयोगी से बातचीत के दौरान अंसारी ने बताया, 'मेरे छोटे महाराज(मठ में योगी आदित्यनाथ को छोटे महाराज के नाम से पुकारा जाता है) के साथ बेहद दोस्ताना संबंध हैं। जब भी वह यहां होते हैं, मुझे कॉल करते हैं और काम के बारे में पूरी जानकारी लेते हैं। मैं उनके घर में आजादी से घूमता हूं, उनके किचन में जाता हूं, उनके बेडरूम में भी जाता हूं और उनके साथ खाना भी खाता हूं।' मंदिर के पास कई ऐसी दुकानें हैं, जो मुस्लिम चलाते हैं।

बातचीत के दौरान अंसारी ने आगे बताया, 'मैंने कई बार योगी आदित्यनाथ को गरीबों की मदद करते देखा है, वह यह नहीं देखते कि कौन किस जाति या धर्म का है। छोटे महाराज शादी समारोहों में शरीक होते हैं।' मंदिर परिसर में एक दुकान चलाने वाली मुस्लिम अजीजुन्निसा ने बताया कि पिछले 35 वर्षों से वह यहां दुकान चला रही हैं, उन्होंने कभी महसूस नहीं किया कि योगी ने किसी को सम्मान न दिया हो या भेदभावपूर्ण व्यवहार किया हो। 20 वर्षों से मंदिर में चूड़ियों की दुकान लगाने वाले मोहम्मद मुताकिम ने बताया, 'मंदिर के अंदर दुकानों और अन्य कामों के जरिए कई मुस्लिम परिवार अपनी रोज़ी-रोटी कमाते हैं, उनमें किसी बात का भय नहीं।'

यासिन अंसारी ने बताया कि उनके पिता के बड़े भाई महंत दिग्विजयनाथ की पुरोहित बनने की विधि कार्यक्रम में शामिल हुए थे और मंदिर के किचन की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी। उन्होंने बताया कि 1977-83 तक वह मंदिर के खजांची थे और 1984 से वह मंदिर के निर्माण कार्यों के सुपरवाइजर के तौर पर काम कर रहे हैं।

गोरखनाथ मंदिर के पहले इंजिनियर निसार अहमद हुआ करते थे, जो बाद में महाराणा प्रताप पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य बन गए थे। उन्होंने बताया, 'मैं मंदिर का इंजिनियर था। साधना भवन, यात्री निवास, हिंदू सेवाश्रम, मंदिर में दुकानें, गोरखनाथ अस्पताल की नई बिल्डिंग, संस्कृत विद्यालय, राधाकृष्ण मंदिर और कई अन्य मंदिर मेरे दिए डिजाइन के अनुरूप बनाए गए हैं। अब मैं रिटायर हो चुका हूं।'