ग़ज़ा में बढ़ते इसराइली हमलों के बाद इसराइल के भीतर इसके ख़िलाफ़ और लड़ाई के तरीक़ों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है.
वामपंथी राजनेता और इसराइल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) के पूर्व डिप्टी कमांडर याइर गोलान ने सोमवार को कहा था, "अगर हम एक समझदार देश की तरह बर्ताव करना शुरू नहीं करते हैं, तो इसराइल भी एक बहिष्कृत देश बन जाएगा जैसा कि कभी दक्षिण अफ्रीका था.."
उन्होंने इसराइल पब्लिक रेडियोज़ के एक न्यूज़ प्रोग्राम में कहा, "एक समझदार देश नागरिकों के विरुद्ध युद्ध नहीं छेड़ता, शौक के लिए बच्चों की हत्या नहीं करता और जनसंख्या कम करने का लक्ष्य नहीं रखता है."
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने पलटवार करते हुए इन टिप्पणियों को 'अपमान' बताया है.
वहीं ग़ज़ा में भी कुछ लोगों में हमास को लेकर नाराज़गी है.
दक्षिणी ग़ज़ा में तीसरे दिन भी फ़लस्तीनी लोगों ने हमास के ख़िलाफ़ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया.
हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, इसराइल और ग़ज़ा में संघर्ष शुरू होने के बाद से ग़ज़ा में 53 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए हैं.